धर्म-अध्यात्म

सावन के महीने में इन मंत्रों के जाप से होगी मनोकामनाएं पूरी

Tara Tandi
15 July 2022 9:37 AM GMT
सावन के महीने में इन मंत्रों के जाप से होगी मनोकामनाएं पूरी
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सावन का महीना 14 जुलाई गुरुवार से शुरू हो चुका है. ये महीना शिवभक्तों के लिए बेहद खास है. माना जाता है कि श्रावण मास (Shravan Maas) भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का महीना है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन का महीना 14 जुलाई गुरुवार से शुरू हो चुका है. ये महीना शिवभक्तों के लिए बेहद खास है. माना जाता है कि श्रावण मास (Shravan Maas) भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का महीना है, इसलिए ये उन दोनों को ही बेहद प्रिय है. श्रावण मास में शिव भक्त भी भगवान की विशेष पूजा करते हैं. नियमित रूप से मंदिर जाकर शिवलिंग (Shivling) का जलाभिषेक करते हैं, उन्हें बेलपत्र, धतूरा, चंदन और पुष्प आदि अर्पित करते हैं. इसी महीने में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है. तमाम भक्त सावन के महीने में शिव जी को मनाने के लिए सावनभर के या सावन के सोमवार के व्रत रखते हैं. लेकिन अगर आप इन सभी चीजों को नियमित रूप से पूरा नहीं कर सकते हैं, तो सावनभर यहां बताए जा रहे मंत्रों का जाप करें. इन मंत्रों से आपके जीवन का हर कष्ट शिवजी और मां गौरी दूर करेंगे.

पारिवारिक सुख समृद्धि के लिए
ॐ ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्जवलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम
ॐ नम: शिवाय और ॐ गं गणपतये नम:
यश प्राप्ति के लिए
ॐ ऐं नम: शिवाय
ॐ ह्रीं नम: शिवाय मंत्र
सौभाग्य प्राप्ति के लिए
ॐ साम्ब सदाशिवाय नम:
अच्छी सेहत प्राप्त करने के लिए
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
महादेव को प्रसन्न करने के लिए
ॐ श्री शिवाय नम: ॐ श्री शंकराय नम: ॐ श्री महेशवराय नम: ॐ श्री रुद्राय नम: ॐ पार्वतीपतये नम:
क्यों महादेव को प्रिय है सावन
कहा जाता है कि दक्ष कन्या सती ने जब अपने पति शिवजी के अपमान के कारण यज्ञकुंड में अपने प्राण त्याग दिए थे, तो महादेव क्रोध में माता सती के जले हुए शरीर के साथ तांडव करने लगे. शिव जी का क्रोध देख तीनों लोक के लोग व्याकुल हो गए. इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के अलग-अलग टुकड़े कर दिए. इसके बाद माता सती ने हिमालय कन्या की पुत्री पार्वती बनकर जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी वो शिव जी को ही प्राप्त करना चाहती थीं. शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए उन्होंने कठिन तप किया. तप से प्रसन्न होकर सावन के महीने में शिव जी ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के तौर पर स्वीकार किया. इसके बाद​ शिव जी और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ. सावन में माता से मिलन होने के कारण ये माह शिव जी और माता पार्वती दोनों को अत्यंत प्रिय है. कहा जाता है कि माह में अगर सच्चे मन से शिव जी की पूजा की जाए, मंत्रों का जाप किया जाए तो वो भक्त की कामना जरूर पूरी करते हैं.
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