धर्म-अध्यात्म

महामृत्युंजय मंत्र के जाप से टल जाता है अकाल मृत्यु का खतरा, जानें कैसे करे

Subhi
2 July 2022 4:20 AM GMT
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से टल जाता है अकाल मृत्यु का खतरा, जानें कैसे करे
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भगवान शिव की भक्ति के लिए सोमवार का दिन श्रेष्ठ माना जाता है. हर देवी-देवता को कोई न कोई दिन समर्पित है. लेकिन देवी-देवताओं के कुछ कार्य ऐसे हैं, जिन्हें नियमित रूप से किए जाने से लाभ होता है. इनमें से एक भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र भी है.

भगवान शिव की भक्ति के लिए सोमवार का दिन श्रेष्ठ माना जाता है. हर देवी-देवता को कोई न कोई दिन समर्पित है. लेकिन देवी-देवताओं के कुछ कार्य ऐसे हैं, जिन्हें नियमित रूप से किए जाने से लाभ होता है. इनमें से एक भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र भी है. मृत्युंजय मंत्र को लेकर पुराणों में मान्यता है कि नियमित रूप से इस मंत्र जाप करने वाले व्यक्ति को अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है. कहते हैं कि दीर्घायु के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है. इससे शिव जी प्रसन्न होकर भक्तों को लंबी आयु का वरदान देते हैं. आइए जानते हैं इसके लाभ और विधि के बारे में.

महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र- ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!

मृत्युंजय मंत्र का जाप विधि

मंत्र जाप की शुरुआत करने से पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव के समक्ष उस कार्य को दोहराएं, जो करना है. फिर महामृत्यंजय मंत्र का जाप करें.

इसके बाद शिवलिंग के सम्मुख खड़े होकर 1 लाख या अपनी श्रद्धा अनुसार मंत्रों के जाप का संकल्प लें.

मृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से किया जाता है. साथ ही, इस मंत्र की शुरुआत सोमवार के दिन से करनी चाहिए.

इस बात का ध्यान रखें कि इस मंत्र का जाप दोपहर 12 बजे से पहले किया जाता है. मान्यता है कि 12 बजे के बाद इस मंत्र का जाप करने से फल की प्राप्ति नहीं होती.

अगर आप घर पर ही मंत्र की शुरुआत कर रहे हैं, तो पहले शिवलिंग की पूजा करें उसके बाद ही मंत्र जाप करें.

अगर घर पर संभव न हो तो मंदिर में जाकर शिवलिंग का पूजन करें और फिर घर वापस आकर घी का दीपक जलाकर जाप करें.

बता दें कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप 11 माला लगातार 10 दिन तक करें. और ये पूरा होने के बाद हवन करें.

मृत्युंजय मंत्र का लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस मंत्र का जाप ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, रोग, जमीन-जायदाद का विवाद, धन हानि से बचने, वर वधू की कुंडली न मिलने पर किया जाता है.


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