धर्म-अध्यात्म

गुप्त नवरात्रि के ​तीसरे दिन करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप

Apurva Srivastav
20 Jun 2023 2:47 PM GMT
गुप्त नवरात्रि के ​तीसरे दिन करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप
x
सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि देवी साधना आराधना को समर्पित होता हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जिसका आरंभ 19 जून दिन सोमवार से हो चुका हैं और आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन हैं।
तो वही कल यानी 21 जून को नवरात्रि का तीसरा दिन पड़ रहा हैं जो कि जगत जननी आदिशकित मां दुर्गा की तृतीय शक्ति स्वरूपा माता चंद्रघंटा को समर्पित हैं इस दिन भक्त देवी मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के शक्तिशाली मंत्रों का जाप किया जाए तो देवी मां की कृपा बरसती हैं साथ ही सभी दुख परेशानियां दूर हो जाती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं माता के चमत्कारी मंत्र।
माता का बीज मंत्र—
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
प्रभावशाली मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ध्यान मंत्र
ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला
वराभीतकराम्घ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्‍‌नकुण्डल मण्डिताम्घ
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ स्तोत्र
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्तिरू शुभा पराम।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्घ्
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ्
कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
स्तोत्र
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
देवी कवच—
रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धारं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥
Next Story