धर्म-अध्यात्म

गणेश चतुर्थी पर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, हर संकट से रहेंगे दूर

Subhi
31 Aug 2022 4:57 AM GMT
गणेश चतुर्थी पर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, हर संकट से रहेंगे दूर
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हिंदू धर्म में भगवान गणेश का बहुत अधिक महत्व है। प्रथम पुज्य गणपति व्यक्ति के हर दुख दर्द को हर लेते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण हर साल इस दिन से अगले 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में भगवान गणेश का बहुत अधिक महत्व है। प्रथम पुज्य गणपति व्यक्ति के हर दुख दर्द को हर लेते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण हर साल इस दिन से अगले 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस साल गणेश उत्सव 31 अगस्त से शुरू हो रहा है। देश के कोने-कोने में गणेश जी के पंडाल सजेंगे, तो घरों में भी गणपति बप्पा विराजेंगे। हर कोई बप्पा की भक्ति में डूबा रहता है। अगर आप भी घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं, तो विधिवत पूजा करने के साथ इन मंत्रों का जरूर जाप करें।

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना करने के बाद इन मंत्रों का जाप करने से गणपति जल्द प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। आइए जानते हैं कि गणेश जी के किन मंत्रों का जाप करना होगा शुभ।

गणपति बप्पा के मंत्रों का करें जाप

विघ्न-बाधा दूर करने के लिए

ऊं एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात

गृह क्लेश दूर करने के लिए

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश. ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति,, करो दूर क्लेश..

गणपति जी और कुबेर को प्रसन्न करने के लिए

इस मंत्र का 108 बार नियमित रूप से जाप करें।

ऊं नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा

मनोकामना पूर्ण करने के लिए

गणपति जी के इस मंत्र का जाप करने से हर तरह की इच्छा पूर्ण होगी और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः। द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥

करियर में सफलता पाने के लिए

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

शत्रुनाशक और संकटों से बचने के लिए इन मंत्रों का जाप करें

ॐ गं गणपतये नम:।'

'ॐ वक्रतुण्डाय हुं।'

सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः

ॐ मेघोत्काय स्वाहा।'

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'

'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।'


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