धर्म-अध्यात्म

आज सावन सोमवार पर करें इन मंत्रों का जाप, आप पर होगी शिव की विशेष कृपा

Subhi
2 Aug 2021 2:51 AM GMT
आज सावन सोमवार पर करें इन मंत्रों का जाप, आप पर होगी शिव की विशेष कृपा
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सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने का विशेष विधान। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से अवढ़रदानी शिव शीध्र प्रसन्न होते हैं

सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने का विशेष विधान। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से अवढ़रदानी शिव शीध्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों का सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। सोम का शब्द का अर्थ एक और तो चंद्रमा से लिया जाता है तो दूसरी और सोम रस से जिसे ऋगवेद में दिव्य पेय कहा गया है। भगवान शिव का संबंध दोनों ही सोम से है। एक ओर तो वो चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करने के कारण चंद्रशेखर कहलाते हैं। दूसरी ओर सोम रस का पान कर समाधि में लीन रहते हैं। इसलिए ही भगवान शिव को सोमेश्वर महादेव भी कहा जाता है। सावन के सोमवार पर हम आपको कुछ ऐसे मंत्र बता रहे हैं जिनका श्रद्धाभाव से जाप करने से सभी मनोकामानाओं की पूर्ति होती है...

सावन के सोमवार को करें इस मंत्र का जाप

सावन के सोमवार के दिन सबरे उठ कर स्नान कर शिवालय में शिवलिंग का जलाभिषेक करते हुए, इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

ऊँ महाशिवाय सोमाय नम:।

वैसे तो भगवान शंकर का पंचाक्षर मंत्र - ॐ नमः शिवाय। सरल,अमोघ और अचूक है, लेकिन अगर आप किसी विषम संकट में फंस गए हो तो सोमवार के दिन कुश के आसन पर बैठ कर किसी शिवालय में इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।

'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'

अगर आपके व्यवासाय या कारोबार में लम्बे समय से घाटा चल रहा है या बार- बार कोई समस्या आकर घेर लेती है तो आपको भगवान शिव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे। श्रेय:प्राप्तिनिमित्ताय नम: सोमाद्र्धधारिणे।।

बुरी नज़र, भूत-प्रेत बाधा या किसी भी तरह के तंत्र-मंत्र का असर हो तो रुद्राष्टकम् के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्।।

सावन के सोमवार के दिन शिवालय में उत्तर दिशा में मुहं करके भगवान शिव के इन नाम मंत्रों का जाप करने से सभी तरह के रोग-दोष से मुक्ति मिलती है।

ॐ अघोराय नम:

ॐ शर्वाय नम:

ॐ विरूपाक्षाय नम:

ॐ विश्वरूपिणे नम:

ॐ त्र्यम्बकाय नम:

ॐ कपर्दिने नम:

ॐ भैरवाय नम:

ॐ शूलपाणये नम:

ॐ ईशानाय नम:

ॐ महेश्वराय नम:



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