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धर्म-अध्यात्म
रविवार के दिन करे इन मंत्रों का जाप, सूर्यदेव की होगी आप पर विशेष कृपा
Subhi
26 Dec 2021 2:32 AM GMT
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रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा उपासना की जाती है। भगवान सूर्यदेव ऊर्जा का एकमात्र स्त्रोत हैं।
रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा उपासना की जाती है। भगवान सूर्यदेव ऊर्जा का एकमात्र स्त्रोत हैं। ज्योतिषों की मानें तो करियर और कारोबार में उन्नति और प्रगति के लिए सूर्य का मजबूत होना अनिवार्य है। जिन जातकों का सूर्य मजबूत होता है। उन्हें करियर और कारोबार में कोई समस्या नहीं आती है। इसके लिए ज्योतिष सरकारी नौकरी पाने के लिए सूर्य मजबूत करने की सलाह देते हैं। खासकर रविवार के दिन पूजा करने से सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। अगर आप भी सूर्यदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो रविवार के दिन पूजा करने के साथ ही इन मंत्रों का जाप जरूर करें। आइए जानते हैं-
1.
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,
अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
2.
सूर्य कवच
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।
देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।
शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।।
ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।।
सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।।
सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।।
3.
सूर्याष्टकम
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
4.
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
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