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रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है. इस दिन जो व्यक्ति सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ उनकी पूजा करते है, उसे मान-सम्मान के साथ आरोग्य की भी प्राप्ति होती है. इस दिन खासकर जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य दोष होता है, उसके सूर्यदेव को अर्घ्य अवश्य देना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, सूर्य को बजरंगबली का गुरु बताया गया है. वहीं इस दिन अगर आप सूर्यदेव से संबंधित मंत्रों का जाप करते हैं, उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में सूर्यदेव से संबंधित मंत्रों के जाप करने के बारे में बारे में विस्तार से बताएंगे.
सूर्यदेव से संबंधित इन मंत्रों का करें जाप
1. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।।
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ।।
3. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
4. ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:।
5. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: ।।
रविवार के दिन कई लोग सूर्योदय से पहले स्नान कर सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं. ऐसा कहते हैं कि सूर्य को बलवान माना जाता है. उनके जीवन में आ रही सभी परेशानियां अपने आप ही दूर हो जाती हैं. इसलिए रोजाना सूर्यदेव को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करें. इससे व्यक्ति को अवश्य लाभ होगा और व्यक्ति की मनोकामना भी पूर्ण होती है.
सूर्यदेव की करें आरती
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
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