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हिन्दू पंचांग के अनुसार, 26 जुलाई को अधिक मास की दुर्गाष्टमी है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन साधक जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत रखते हैं। अधिक मास की अष्टमी तिथि पर ममतामयी मां जगदंबा की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख,समृद्धि और शांति का आगमन होता है। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों ही करते हैं। अगर आप भी आदिशक्ति मां दुर्गा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मासिक दुर्गाष्टमी पर व्रत रख विधि विधान से जगत जननी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करें। इस समय निम्न मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख और संताप तत्क्षण से दूर होने लगते हैं। आइए, मंत्रों को जानते हैं-
जगत जननी मां दुर्गा के मंत्र
शक्ति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
आह्वान मंत्र
2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
भय दूर करने हेतु मंत्र
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते ॥
पाप नाशक मंत्र
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
संकट टालने हेतु दुर्गा मंत्र
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥
पुत्र प्राप्ति मंत्र
देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
धन प्राप्ति मंत्र
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
जगत कल्याण मंत्र
देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |
तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः |
