धर्म-अध्यात्म

जया एकादशी व्रत के दिन करें भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप

Subhi
10 Feb 2022 2:12 AM GMT
जया एकादशी व्रत के दिन करें भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप
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माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी व्रत रखा जाता है। पूरे साल में कुल मिलकर 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं। इस बार जया एकादशी व्रत 12 फरवरी, 2022, दिन शनिवार को रखा जाएगा।

माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी व्रत रखा जाता है। पूरे साल में कुल मिलकर 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं। इस बार जया एकादशी व्रत 12 फरवरी, 2022, दिन शनिवार को रखा जाएगा। जया एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि भगवान विष्णु जीवन की हर एक बाधा को भक्तों के जीवन से दूर करते हैं। अगर कोई भी साधक जया एकादशी के दिन व्रत रखने के साथ-साथ श्री विष्णु के मंत्रों का जाप करता है तो उसे अनंत फल की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

विष्णुजी के इन मंत्रों का करें जाप

जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनसे मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करें।

विष्णु मूल मंत्र

ॐ नमोः नारायणाय॥

उपरोक्त मंत्र भगवान विष्णु का मूल मंत्र है। इस मंत्र का जाप करने से विष्णु जी अवश्य प्रसन्न होते हैं।

भगवते वासुदेवाय मंत्र

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

श्री विष्णु का जो भी साधक इस मंत्र का जाप करते हुए ध्यान लगाता है उसे भगवत कृपा की प्राप्ति होती है।

विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

विष्णु गायत्री मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

श्री विष्णु मंत्र

मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः। मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥

उपरोक्त विष्णु मंत्र जीवन के सभी दुखों को दूर करके जीवन में सुख और समृद्धि प्रदान करता है।

विष्णु स्तुति

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥


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