धर्म-अध्यात्म

शुक्रवार के दिन पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप, होगी धन की वर्षा

28 Dec 2023 12:46 PM GMT
शुक्रवार के दिन पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप, होगी धन की वर्षा
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Maa Laxmi Mantra: सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। मां लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन विधिपूर्वक माता लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से इंसान को जीवन में सुख-शांति मिलती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। धार्मिक मत है …

Maa Laxmi Mantra: सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। मां लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन विधिपूर्वक माता लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से इंसान को जीवन में सुख-शांति मिलती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। धार्मिक मत है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करने से साधक की पूजा सफल होती है और उसे धन का लाभ मिलता है। इसके अलावा घर में सदैव मां लक्ष्मी का वास होता है। आइए जानते हैं शुक्रवार के दिन पूजा के दौरान किन मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है।

पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें
1. ॐ श्री महालक्ष्मै च विद्महे विष्णु पतनाय च दिमाहि तनु लक्ष्मी प्रच्युदयत् ॐ।

2. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य

नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

4. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम

गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।

5. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

6.ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद

प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

7.ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

8.ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।

9.आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।

यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।

पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

10.ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये

धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

11.या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

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