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ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन एकादशी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है। जो कि हर माह में दो बार आता है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है इस दिन …
ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन एकादशी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है। जो कि हर माह में दो बार आता है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है मान्यता है कि ऐसा करने से श्री हरि विष्णु की अपार कृपा बरसती है इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी को किया जाएगा।
ऐसे में इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ ही अगर भगवान विष्णु के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो जीवन के सारे दुख और संकट से छुटकारा मिल जाता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान विष्णु के चमत्मकारी मंत्र।
भगवान विष्णु के चमत्कारी मंत्र—
1. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
2. ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
3. ॐ विष्णवे नम:
4. शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
5.धन-समृद्धि मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।
6.लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ता भये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
7.विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
8. कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।
बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।
करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।
नारायणयेति समर्पयामि ॥
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा
बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।
करोति यद्यत्सकलं परस्मै
नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥
9.ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
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