धर्म-अध्यात्म

शनि अमावस्या पर करें इन 6 मंत्रों का जाप, खत्म होगा साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव

Subhi
27 April 2022 2:28 AM GMT
शनि अमावस्या पर करें इन 6 मंत्रों का जाप, खत्म होगा साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव
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30 अप्रैल 2022 को शनि अमावस्या है। शनि अमावस्या का संयोग तब बनता है, जब शनिवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस दिन शनि देव के उपाय करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

30 अप्रैल 2022 को शनि अमावस्या है। शनि अमावस्या का संयोग तब बनता है, जब शनिवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस दिन शनि देव के उपाय करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। अमावस्या के अवसर पर लोग गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और गरीबों को दान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा शनि अमावस्या के दिन लोग शनि देव की पूजा करते हैं और साढ़ेसाती एवं ढैय्या के दुष्प्रभावों से राहत पाने के लिए ज्योतिष उपाय करते हैं। साथ ही शनिदेव की विशेष कृपा पाने के लिए इस दिन आप कुछ मंत्रों का जाप कर सकते हैं। वहीं अगर आप शनि दोष का प्रकोप झेल रहे हैं तो इन मंत्रों के जाप से आपको जरूर लाभ मिलेगा। आइए जानते हैं इन मंत्रों के बारे में....

शनि का पौराणिक मंत्र

ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

शनि का वैदिक मंत्र

ऊँ शन्नोदेवीर- भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

तांत्रिक शनि मंत्र:

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

शनि बीज मंत्र

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

सामान्य मंत्र-

ॐ शं शनैश्चराय नमः।

शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्

शनि अमावस्या 2022 शुभ मुहूर्त

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या शनिवार 30 अप्रैल, 2022 को है। इसी दिन शनि अमावस्या भी है। अमावस्या तिथि 30 अप्रैल को देर रात 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर 01 मई को देर रात 1 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर 30 अप्रैल को शाम को शनि देव की पूजा-अर्चना की जाएगी।

शनिदोष से छुटकारा पाने के लिए करें ये महाउपाय

बाधाओं को दूर करने के लिए शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल अर्पित करें। इसके बाद शाम के समय में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनि अमावस्या के दिन पंचामृत स्नान, तिल-तेल से शनि देव का अभिषेक करें और इस के साथ ही शनि चालीसा का पाठ करने से संकट दूर होते हैं।

इसके अलावा शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर में जाकर शनिदेव की प्रतिमा के समक्ष सरसों के तेल का दीपक और सरसों के तेल के बने मिष्ठान अर्पित करें। पीपल के नीचे भी सरसों के तेल का दीपक जलाएं।


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