धर्म-अध्यात्म

हर शुक्रवार को सीता जी के 108 नामों का जाप, सभी समस्य होगी दूर

Tara Tandi
12 May 2023 8:35 AM GMT
हर शुक्रवार को सीता जी के 108 नामों का जाप, सभी समस्य होगी दूर
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हिंदू धर्म में माता सीता को लक्ष्मी का रूप माना गया हैं और शुक्रवार का दिन देवी आराधना के लिए श्रेष्ठ होता हैं इस दिन हर कोई देवी आराधना कर माता को प्रसन्न करना चाहता हैं अगर आप भी मां सीता का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो हर शुक्रवार के दिन माता सीता के 108 नामों का पाठ जरूर करें मान्यता है कि इसका पाठ करने से हर समस्या का समाधान हो जाता हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मां सीता के 108 नाम।
॥ अथ श्री सीताष्टोत्तरशतनामावलिः ॥
ॐ जनकनन्दिन्यै नमः।
ॐ लोकजनन्यै नमः।
ॐ जयवृद्धिदायै नमः।
ॐ जयोद्वाहप्रियायै नमः।
ॐ रामायै नमः।
ॐ लक्ष्म्यै नमः।
ॐ जनककन्यकायै नमः।
ॐ राजीवसर्वस्वहारिपादद्वयाञ्चितायै नमः।
ॐ राजत्कनकमाणिक्यतुलाकोटिविराजितायै नमः।
ॐ मणिहेमविचित्रोद्यत्रुस्करोत्भासिभूषणायै नमः।
ॐ नानारत्नजितामित्रकाञ्चिशोभिनितम्बिन्यै नमः।
ॐ देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षससेवितायै नमः।
ॐ सकृत्प्रपन्नजनतासंरक्षणकृतत्वरायै नमः।
ॐ एककालोदितानेकचन्द्रभास्करभासुरायै नमः।
ॐ द्वितीयतटिदुल्लासिदिव्यपीताम्बरायै नमः।
ॐ त्रिवर्गादिफलाभीष्टदायिकारुण्यवीक्षणायै नमः।
ॐ चतुर्वर्गप्रदानोद्यत्करपङ्जशोभितायै नमः।
ॐ पञ्चयज्ञपरानेकयोगिमानसराजितायै नमः।
ॐ षाड्गुण्यपूर्णविभवायै नमः।
ॐ सप्ततत्वादिदेवतायै नमः।
ॐ अष्टमीचन्द्ररेखाभचित्रकोत्भासिनासिकायै नमः।
ॐ नवावरणपूजितायै नमः।
ॐ रामानन्दकरायै नमः।
ॐ रामनाथायै नमः।
ॐ राघवनन्दितायै नमः।
ॐ रामावेशितभावायै नमः।
ॐ रामायत्तात्मवैभवायै नमः।
ॐ रामोत्तमायै नमः।
ॐ राजमुख्यै नमः।
ॐ रञ्जितामोदकुन्तलायै नमः।
ॐ दिव्यसाकेतनिलयायै नमः।
ॐ दिव्यवादित्रसेवितायै नमः।
ॐ रामानुवृत्तिमुदितायै नमः।
ॐ चित्रकूटकृतालयायै नमः।
ॐ अनुसूयाकृताकल्पायै नमः।
ॐ अनल्पस्वान्तसंश्रितायै नमः।
ॐ विचित्रमाल्याभरणायै नमः।
ॐ विराथमथनोद्यतायै नमः।
ॐ श्रितपञ्चवटीतीरायै नमः।
ॐ खदयोतनकुलानन्दायै नमः।
ॐ खरादिवधनन्दितायै नमः।
ॐ मायामारीचमथनायै नमः।
ॐ मायामानुषविग्रहायै नमः।
ॐ छलत्याजितसौमित्रै नमः।
ॐ छविनिर्जितपङ्कजायै नमः।
ॐ तृणीकृतदशग्रीवायै नमः।
ॐ त्राणायोद्यतमानसायै नमः।
ॐ हनुमद्दर्शनप्रीतायै नमः।
ॐ हास्यलीलाविशारदायै नमः।
ॐ मुद्रादर्शनसन्तुष्टायै नमः।
ॐ मुद्रामुद्रितजीवितायै नमः।
ॐ अशोकवनिकावासायै नमः।
ॐ निश्शोकीकृतनिर्जरायै नमः।
ॐ लङ्कादाहकसङ्कल्पायै नमः।
ॐ लङ्कावलयरोधिन्यै नमः।
ॐ शुद्धिकृतासन्तुष्टायै नमः।
ॐ शुमाल्याम्बरावृतायै नमः।
ॐ सन्तुष्टपतिसंस्तुतायै नमः।
ॐ सन्तुष्टहृदयालयायै नमः।
ॐ श्वशुरस्तानुपूज्यायै नमः।
ॐ कमलासनवन्दितायै नमः।
ॐ अणिमाद्यष्टसंसिद्ध नमः।
ॐ कृपावाप्तविभीषणायै नमः।
ॐ दिव्यपुष्पकसंरूढायै नमः।
ॐ दिविषद्गणवन्दितायै नमः।
ॐ जपाकुसुमसङ्काशायै नमः।
ॐ दिव्यक्षौमाम्बरावृतायै नमः।
ॐ दिव्यसिंहासनारूढायै नमः।
ॐ दिव्याकल्पविभूषणायै नमः।
ॐ राज्याभिषिक्तदयितायै नमः।
ॐ दिव्यायोध्याधिदेवतायै नमः।
ॐ दिव्यगन्धविलिप्ताङ्ग्यै नमः।
ॐ दिव्यावयवसुन्दर्यै नमः।
ॐ हय्यङ्गवीनहृदयायै नमः।
ॐ हर्यक्षगणपूजितायै नमः।
ॐ घनसारसुगन्धाढ्यायै नमः।
ॐ घनकुञ्चितमूर्धजायै नमः।
ॐ चन्द्रिकास्मितसम्पूर्णायै नमः।
ॐ चारुचामीकराम्बरायै नमः।
ॐ योगिन्यै नमः।
ॐ मोहिन्यै नमः।
ॐ स्तम्भिन्यै नमः
ॐ अखिलाण्डेश्वर्यै नमः।
ॐ शुभायै नमः।
ॐ गौर्यै नमः।
ॐ नारायण्यै नमः।
ॐ प्रीत्यै नमः।
ॐ स्वाहायै नमः।
ॐ स्वधायै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ आश्रितानन्दजनन्यै नमः।
ॐ भारत्यै नमः।
ॐ वाराह्यैः नमः।
ॐ वैष्णव्यै नमः।
ॐ ब्राह्म्यैः नमः।
ॐ सिद्धवन्दितायै नमः।
ॐ षढाधारनिवासिन्यै नमः।
ॐ कलकोकिलसल्लापायै नमः।
ॐ कलहंसकनूपुरायै नमः।
ॐ क्षान्तिशान्त्यादिगुणशालिन्यै नमः।
ॐ कन्दर्पजनन्यै नमः।
ॐ सर्वलोकसमारध्यायै नमः।
ॐ सौंगन्धसुमनप्रियायै नमः।
ॐ श्यामलायै नमः।
ॐ सर्वजनमङ्गलदेवतायै नमः।
ॐ वसुधापुत्र्यै नमः।
ॐ मातङ्ग्यै नमः।
ॐ सीतायै नमः।
ॐ हेमाञ्जनायिकायै नमः।
ॐ सीतादेवीमहालक्ष्म्यै नमः।
ॐ सकलसांराज्यलक्ष्म्यै नमः।
ॐ भक्तभीष्टफलप्रदायै नमः।
॥ इति श्रीसीताष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा ॥
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