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मन और माता का कारक माने जाते हैं चंद्रदेव, जानें जीवन पर क्या पड़ता है इनका प्रभाव
चंद्रदेव : जिस चंद्रमा को खूबसूरती की मिसाल देने के लिए प्रयोग में लाया जाता है और जिस पर जाने के लिए आज चंद्रयान तैयार है, उसका धर्म और ज्योतिष में क्या महत्व है, विस्तार से जानने के लिए पढ़े ये लेख. मन और माता का कारक माने जाते हैं चंद्रदेव, जानें जीवन पर क्या पड़ता है इनका प्रभाव चंद्रमा का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व सनातन परंपरा में चंद्रमा का बहुत ज्यादा माना गया है क्योंकि कई ऐसे महत्वपूर्ण व्रत, तीज-त्योहार और पावन तिथियां इससे जुड़ी हुई हैं. हिंदू धर्म में चंद्रमा एक ऐसे देवता हैं, जिनके दर्शन हमें भगवान सूर्य की तरह प्रत्यक्ष रूप से होते हैं. हिंदू धर्म की तरह वैदिक ज्योतिष में इसका बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि किसी भी व्यक्ति की राशि तय करने से लेकर उसे भविष्य में मिलने वाले फल आदि की जानकारी में चंद्रमा अहम रोल अदा करता है. चंद्रमा का हिंदू धर्म और ज्योतिष में क्या महत्व है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं. हिंदू धर्म में चंद्रमा का महत्व हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता माना गया है जो देवों के देव महादेव के मस्तक पर शोभायमान रहते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार उन्हें महर्षि अत्रि और माता अनुसूइया का पुत्र माना गया है.चंद्र देवता जिन्हें सोम के नाम से जाना जाता है, उनके द्वारा पृथ्वी पर पहले ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई थी, जिसे सोमनाथ के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में तमाम ऐसे पर्व हैं जो चंद्र देवता की पूजा से जुड़े हुए हैं. फिर चाहे करवा चौथ हो या फिर गणेश चौथ. सनातन पंरपरा में प्रत्येक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तथा पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, फाल्गुन पूर्णिमा और तमाम महीने में पड़ने वाली अमावस्या का संबंध भी चंद्रमा से ही है. गौरतलब है कि दीपों का महापर्व दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही मनाया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार पितर भी इसी चंद्रमा पर निवास करते हैं।
ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व ज्योतिष में चंद्रमा का मन और माता का कारक माना गया है. वैदिक ज्योतिष पर आधारित बनाई जानी वाली कुंडली में चंद्रमा के आधार पर ही किसी व्यक्ति की राशि तय होती है. ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है जो किस भी व्यक्ति की कुंडली में शुभ-अशुभ रहते हुए उसके मनोबल को घटाने या बढ़ाने का कारण बनता है. इसका संबंध जातक की माता और मानसिक शांंति से होता है. नवग्रहों में चंद्रमा की गोचर की अवधि सबसे कम तकरीबन सवा दो दिन की होती है. खास बात यह कि भारतीय पंचांग और राशिफल चंद्रमा की मदद से ही तैयार किया जाता है. चंद्रमा के महत्व को ऐसे भी जाना जा सकता है कि सप्ताह के सात दिनों में एक दिन उनके नाम पर सोमवार रखा गया है.चंद्रमा की शुभता पाने के उपाय चंद्र देवता की शुभता पाने के लिए सोमवार के दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए. सोमवार के दिन रुद्राक्ष की माला से ॐ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करने से भी कुंडली में चंद्रमा की शुभता प्राप्त होती है. कुंडली में स्थित चंद्र दोष को दूर करने के लिए जातक को सोमवार का व्रत रखना चाहिए. ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा के दिन व्रत रखने, चंद्रमा के दर्शन और पूजन करने से भी उसके शुभ फल प्राप्त होते हैं. चंद्र देवता से संबंधित चीजें जैसें सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, सफेद चंदन, चावल, दूध, चांदी, मोती, मिश्री, आदि का दान करने से भी उनकी शुभता प्राप्त होती है.
मोती को चंद्रमा का शुभ रत्न माना गया है. ऐसे में चंद्रमा के शुभ फल को पाने के लिए इसे चांदी की अंगूठी में कनिष्ठिका अंगुली में धारण कर सकते हैं.