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धर्म-अध्यात्म
गणेश चतुर्थी के दिन नहीं करना चाहिए चंद्र दर्शन, जानिए भगवान गणेश की पूजा विधि,
Bhumika Sahu
7 Sep 2021 4:11 AM GMT
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शुक्रवार 10 सितंबर को विनायक चतुर्थी है। मध्याह्न में अवतरण हुआ था विनायक का। इसे कलंक चतुर्थी और शिवा चतुर्थी भी कहा जाता है। केवल इसी चतुर्थी तिथि को चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शुक्रवार 10 सितंबर को विनायक चतुर्थी है। मध्याह्न में अवतरण हुआ था विनायक का। इसे कलंक चतुर्थी और शिवा चतुर्थी भी कहा जाता है। केवल इसी चतुर्थी तिथि को चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए।नहीं बचे तो झूठा कलंक लग जाएगा, उसी तरह, जिस तरह से श्रीकृष्ण को लगा था स्यमंतक मणि चुराने का। लेकिन अगर चंद्र को देख ही लिया तो कलंक चतुर्थी की कृष्ण-स्यमंतक कथा को पढ़ने या विद्वत्जनों से सुनने पर गणेश जी क्षमा भी कर देते हैं। इसके साथ ही हर दूज का चांद देखना भी जरूरी है, कलंक आदि से बचने के लिए।
तरह-तरह की मनोकामना पूरी करने के लिए विनायक कई उपाय बताते हैं। शत्रुओं से रक्षा के लिए गणेश जी के पीली कांतिवाले स्वरूप का ध्यान करें। लाल रंग के गणेश जी बल-शक्ति प्रदान करते हैं। धन की इच्छा हो, तो हरे रंग के गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। हां, जिन्हें मोक्ष प्राप्त करना है, उन्हें सफेद रंग के गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। लेकिन इन कार्यों में सफलता तभी मिलेगी, जब आप तीनों समय गणपति का ध्यान और जाप करेंगे।
ऐसे करें पूजा : इस दिन मध्याह्न में गणपति पूजा में 21 मोदक अर्पण करते हुए प्रार्थना के लिए ये श्लोक पढ़ें - विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक। कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।
ध्यान रखें कि गणेश जी को अर्पित किया गया नैवेद्य सबसे पहले उनके सेवकों- गणेश, गालव, गार्ग्य, मंगल और सुधाकर को देना चाहिए। चंद्रमा, गणेश और चतुर्थी माता को दिन में अर्घ्य अर्पित करें। देखा जाए तो अधिकांश मनुष्य किसी भी प्रकार के विघ्न के आने से भयभीत हो उठते हैं। ऐसे में गणेश जी की पूजा से विघ्न समाप्त हो जाता है।
उल्लेख मिलता है कि माता पार्वती और पिता शिव के समक्ष गणेश ने वेद में यह वचन कहें, जो आज भी अति महत्वपूर्ण है- पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रांतिं च करोति य:। तस्य वै पृथिवीजन्य फलं भवति निश्चितम। अर्थात जो माता-पिता की पूजा करके उनकी प्रदक्षिणा करता है, उसको पृथ्वी की परिक्रमा करने का फल मिलता है। गणेश जी कहते हैं कि माता-पिता की पूजा असल में सभी देवी-देवताओं की पूजा है।
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