धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति: मनुष्य के जीवन में आग लगने के समान होती हैं ये परिस्थितियां

Deepa Sahu
18 April 2021 3:34 PM GMT
चाणक्य नीति: मनुष्य के जीवन में आग लगने के समान होती हैं ये परिस्थितियां
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आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान थे।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान थे। वे कूटनीति और राजनीति में बहुत कुशल थे। अपनी कुशलता और बुद्धि के बल पर ही उन्होंने चंद्र गुप्त मोर्य को शासक के रूप में स्थापित होने में मुख्य भूमिका निभाई। वे चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। इन्हें कौटिल्य और विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता था। आचार्य चाणक्य एक योग्य शिक्षक भी थे। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और वहीं पर शिक्षक के रूप में विद्यार्थियों को शिक्षा भी प्रदान की। नीतिशास्त्र में छः ऐसी स्थितियों के बारे में बताया गया हैं, जो इंसान को जीते-जी ही आग में जलने के समान होती हैं। जानिए कौन-सी हैं वो 6 स्थितियां…

आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि वह कौन-सी छः परिस्थितियां हैं जब मनुष्य को जीते जी आग में जलाने के समान महसूस होता है। कांता-वियोग: स्वजनामानो,ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा।दरिद्रभावो विषमा सभा च,विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम्।।

पत्नी या प्रेमिका से वियोग
आचार्य चाणक्य के अनुसार कोई भी जो व्यक्ति जो अपनी पत्नी और प्रेमिका से बहुत प्रेम करता है उससे वियोग की स्थिति वह सहन नहीं कर पाता है। यह परिस्थिति उसके लिए बहुत ही कष्टकारी एक तरह से अग्नि में जलने के समान होती है।
अपमान की स्थिति में
जब किसी व्यक्ति का कहीं पर किसी रिश्तेदार, मित्र या अन्य के द्वारा के द्वारा अपमान होने की स्थिति बहुत ही कष्टकारी और असहनीय होती है। अपमानित होने के बाद कोई भी व्यक्ति उसे नहीं भुला पाता है और अपमान की अग्नि में जलता रहता है।
अत्यधिक कर्ज होने पर
किसी भी व्यक्ति पर अत्यधिक कर्ज हो जाने पर जब वह उसे चुकाने में असमर्थ रहता है तो उसे हर पल ऐसे ऋण चुकाने की चिंता भीतर ही भीतर असहनीय पीड़ा देती है। चिंता की यह स्थिति मनुष्य के लिए जीत जी अग्नि में जलने के समान होती है।
कपटी और चरित्रहीन का सेवक होने पर
यदि कोई अच्छा व्यक्ति किसी कपटी और चरित्रहीन राजा या मालिक के सेवक हो तो वह हर पल असहनीय कष्ट महसूस करता है और जब तक वह ऐसे व्यक्ति की सेवा में रहता है, उसे वह परिस्थिति आग के समान कष्ट देती है।
निर्धनता की स्थिति
किसी भी इंसान के लिए निर्धन होना बहुत ही कष्टकारी होता है। धन न होने की स्थिति में व्यक्ति को छोटी सी जरूरत को भी पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, हर पल आर्थिक तंगी की परिस्थिति कारण भीतर ही भीतर जलता रहता है।
स्वार्थी लोगों के साथ रहने पर
यदि कोई व्यक्ति स्वभाव का अच्छा होकर सदैव दूसरों की सहायता करने के लिए तत्पर रहता हो परंतु उसके आसपास के लोग स्वार्थी स्वभाव के हो तो यह उसके लिए बहुत असहनीय होता है।


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