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चाणक्य नीति: मनुष्य के जीवन में आग लगने के समान होती हैं ये परिस्थितियां
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान थे। वे कूटनीति और राजनीति में बहुत कुशल थे। अपनी कुशलता और बुद्धि के बल पर ही उन्होंने चंद्र गुप्त मोर्य को शासक के रूप में स्थापित होने में मुख्य भूमिका निभाई। वे चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। इन्हें कौटिल्य और विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता था। आचार्य चाणक्य एक योग्य शिक्षक भी थे। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और वहीं पर शिक्षक के रूप में विद्यार्थियों को शिक्षा भी प्रदान की। नीतिशास्त्र में छः ऐसी स्थितियों के बारे में बताया गया हैं, जो इंसान को जीते-जी ही आग में जलने के समान होती हैं। जानिए कौन-सी हैं वो 6 स्थितियां…
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि वह कौन-सी छः परिस्थितियां हैं जब मनुष्य को जीते जी आग में जलाने के समान महसूस होता है। कांता-वियोग: स्वजनामानो,ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा।दरिद्रभावो विषमा सभा च,विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम्।।