धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति: बुढ़ापे में मिलता है युवावस्था में किए गए गलत कार्यों का फल

Gulabi
19 March 2021 4:56 PM GMT
चाणक्य नीति: बुढ़ापे में मिलता है युवावस्था में किए गए गलत कार्यों का फल
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युवावस्था में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए

Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि युवावस्था जो युवा नैतिकता, अनुशासन और संस्कारों को ध्यान में रखकर कार्य करता है उसे वृद्धावस्था में कोई कष्ट नहीं होता है. ऐसे व्यक्ति सम्मान और आदर प्राप्त करते हैं. युवावस्था में किए गए कार्यों के आधार पर ही भविष्य की नींव का निर्माण होता है. इसलिए इस अवस्था में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.

गीता के उपदेश में भी अच्छे कार्यों के महत्व के बारे में बताया गया है. भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि व्यक्ति अपने कार्य और आचरण से श्रेष्ठ बनता है. जो व्यक्ति जवानी में अच्छे कार्य करता है, मानव कल्याण में अपना योगदान देता है, ऐसे व्यक्ति वृद्धावस्था में सम्मान प्राप्त करते हैं.
युवावस्था में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
अनुशासन: युवाओं को युवावस्था में कठोर अनुशासन का पालन करना चाहिए. इस अवस्था में नियम पूर्वक शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए और राष्ट्र तथा समाज के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए.
गलत आदतों से दूर रहें: युवावस्था में गलत आदतों जल्दी प्रभावित करती हैं इनसे बचना चाहिए. इस उम्र में युवाओं को अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए. समाज, परिवार और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का ध्यान करना चाहिए.
मौलिक विचारों को अपनाएं: चाणक्य के अनुसार मौलिक विचारों को अपनाना चाहिए. मौलिक विचार ज्ञान और अनुभव से प्राप्त होते हैं इसलिए युवा अवस्था में ज्ञान और अनुभव को प्राप्त करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए. इस दौरान ज्ञान प्राप्त करने के लिए किसी भी परिश्रम को करने के लिए तैयार रहना चाहिए.


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