- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Chanakya Niti : बच्चे...
धर्म-अध्यात्म
Chanakya Niti : बच्चे को सही और गलत में अंतर दिखाने के लिए उनकी उम्र के अनुसार करें व्यवहार
Bhumika Sahu
23 Aug 2021 3:01 AM GMT
![Chanakya Niti : बच्चे को सही और गलत में अंतर दिखाने के लिए उनकी उम्र के अनुसार करें व्यवहार Chanakya Niti : बच्चे को सही और गलत में अंतर दिखाने के लिए उनकी उम्र के अनुसार करें व्यवहार](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/08/23/1259556-chanakya-niti-.webp)
x
आचार्य चाणक्य के अनुसार बच्चे को संस्कार देने में माता पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. हमेशा बच्चे को सही और गलत में अंतर आना करना चाहिए, वरना उसका भविष्य खराब हो सकता है. इसके लिए माता पिता को उनकी उम्र के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य एक कुशल रणनीतिकार और अर्थशास्त्री थे. उन्होंने अपने जीवन में कई ग्रंथ लिखे थे. अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र उनकी प्रचलित किताबे थी. चाणक्य की नीतिशास्त्र में जीवन से जुड़े हर पहलु के बारे में बताया गया है. अगर कोई व्यक्ति इस किताब में लिखी बातों का अनुसरण करता है तो उसे सफलता जरूर मिलती है. हर माता पिता अपने हिसाब से बच्चे का लालन पोषण करते हैं.
इस दौरान उसे अच्छे संस्कार देने में माता पिता का सबसे बड़ा योगदान होता है. इसलिए बच्चों को प्रति माता पिता का व्यवहार कैसा है ये बहुत जरूरी है. बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ उनके साथ व्यवहार में बदलाव बहुत जरूरी है. आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में इसके बारे में बताया है. माता -पिता का व्यवहार बच्चे के प्रति कैसा होना चाहिए. आइए जानते हैं इसके बारे में.
पांच वर्ष लौं लालिये, दस लौं ताड़न देई,
सुतहीं सोलह बरस में, मित्र सरसि गनि लेई
आचार्य चाणक्य ने इस श्र्लोक में बताया है कि माता- पिता को किस आयु में बच्चे के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए. इस श्लोक का अर्थ है कि माता- पिता को पांच साल तक बच्चे को खूब प्यार करना चाहिए. क्योंकि इस समय बच्चा अबोध होता है. इस उम्र में बच्चे को सही और गलत की समझ नहीं होती है. इस आयु में की गई गलती जानबूझकर नहीं होती है.
चाणक्य कहते हैं कि जब बच्चा पांच साल का होता है तो उसे गलती करने पर डांटना चाहिए. क्योंकि इस उम्र में वो चीजों को समझना शुरू कर देता है. इसलिए बच्चों को आवश्यकता पड़ने पर दुलार करने के साथ डांटना भी चाहिए.
जब बच्चे की आयु 10 वर्ष हो जाए
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब बच्चा 10 से 15 साल का हो जाएं तो उसके साथ सख्ती की जा सकती हैं. क्योंकि इस दौरान बच्चा हठ करने लगता है तो उसके साथ थोड़ा सख्त व्यवहार रखना थोड़ा जरूरी होता है. अगर बच्चा गलत बात के लिए जिद्द करता है तो उसके साथ सख्ती की जा सकता है. लेकिन माता पिता को बच्चों से व्यवहार करते समय भाषा को मर्यादत में रखते हुए संयम बर्तना चाहिए.
16 वर्ष की आयु में बच्चे से कैसा हो व्यवहार
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब बच्चे की उम्र 16 वर्ष की होती है को उसमें मारने और डांटने की बजाय एक दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए. ये उम्र बहुत ही नाजुक होती है. इस उम्र में माता -पिता को बच्चे को उसकी गलती समझाकर अहसास करवाना चाहिए.
Next Story