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बचपन में हमारे माता पिता कई बार हमको कुछ चीजों में पैर लगाने से रोकते हैं. उनका उद्देश्य हमें ये सिखाना होता है कि हम सभी सम्मानीय लोगों और वस्तुओं आदि का सम्मान करें. बचपन में मां बाप के दिए ये संस्कार ही हमारे व्यक्तित्व की नींव बनते हैं. आचार्य चाणक्य ने भी अपनी चाणक्य नीति ग्रंथ में सातवें अध्याय के छठे श्लोक में ऐसे सात लोगों के बारे में बताया है, जिन्हें भूलवश भी पैर लगाना पाप माना गया है. बता दें कि आचार्य चाणक्य हर विषय के ज्ञाता थे और उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी कहा है, वो अपने अनुभव के आधार पर कहा है और लोगों के हित को ध्यान रखते हुए कहा है. आचार्य ने अपने पूरे जीवन में लोगों की बहुत मदद की और अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में भी उन्होंने जीवन से जुड़े करीब करीब हर पहलू को छुआ है और इतनी गूढ़ बातें कहीं हैं, जिन्हें यदि व्यक्ति समझ ले तो अपना जीवन संवार सकता है. जानिए उन सात लोगों के बारे में जिनको पैर नहीं लगाना चाहिए.