धर्म-अध्यात्म

Chanakya Niti : बहुत भाग्यशाली और सम्माननीय होते हैं ये 7 लोग, भूलवश भी इन्हें पैर न लगाएं वर्ना पाप के भागीदार बनेंगे

Bhumika Sahu
21 July 2021 2:39 AM GMT
Chanakya Niti : बहुत भाग्यशाली और सम्माननीय होते हैं ये 7 लोग, भूलवश भी इन्हें पैर न लगाएं वर्ना पाप के भागीदार बनेंगे
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चाणक्य नीति ग्रंथ में सातवें अध्याय के छठे श्लोक में ऐसे सात लोगों के ​बारे में बताया है, जिन्हें भूलवश भी पैर लगाना पाप माना गया है. आचार्य चाणक्य प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी कहा, वो लोगों के हित को ध्यान रखते हुए कहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बचपन में हमारे माता पिता कई बार हमको कुछ चीजों में पैर लगाने से रोकते हैं. उनका उद्देश्य हमें ये सिखाना होता है कि हम सभी सम्मानीय लोगों और वस्तुओं आदि का सम्मान करें. बचपन में मां बाप के दिए ये संस्कार ही हमारे व्यक्तित्व की नींव बनते हैं. आचार्य चाणक्य ने भी अपनी चाणक्य नीति ग्रंथ में सातवें अध्याय के छठे श्लोक में ऐसे सात लोगों के ​बारे में बताया है, जिन्हें भूलवश भी पैर लगाना पाप माना गया है. बता दें कि आचार्य चाणक्य हर विषय के ज्ञाता थे और उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी कहा है, वो अपने अनुभव के आधार पर कहा है और लोगों के हित को ध्यान रखते हुए कहा है. आचार्य ने अपने पूरे जीवन में लोगों की बहुत मदद की और अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में भी उन्होंने जीवन से जुड़े करीब करीब हर पहलू को छुआ है और इतनी गूढ़ बातें कहीं हैं, जिन्हें यदि व्यक्ति समझ ले तो अपना जीवन संवार सकता है. जानिए उन सात लोगों के बारे में जिनको पैर नहीं लगाना चाहिए.

पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरु ब्राह्मणमेव च
नैव गां न कुमारीं च न वृद्धं न शिशुं तथा
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य ने बताया है कि अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कुमारी, वृद्ध और शिशु को कभी भी पैर लगाकर नहीं छूना चाहिए. आचार्य की कही इस बात को विस्तार से ऐसे समझिए.
– अग्नि को शास्त्रों में भगवान का दर्जा दिया गया है, घर में यज्ञ आदि होने पर अग्नि को ही प्रज्जवलित करके शुद्धिकरण किया जाता है. इसलिए अग्नि को कभी भी पैर नहीं लगाना चाहिए. अग्नि के अपमान को देवी देवताओं का अपमान माना जाता है. इसके अलावा ​अग्नि यदि विकराल हो तो आपको जला भी सकती है. इसलिए अग्नि को दूर से प्रणाम करें.
– गुरु, ब्राह्मण और वृद्ध को पूज्यनीय और सम्माननीय माना जाता है और हमारे संस्कार कहते हैं कि जो भी पूज्यनीय होता है या सम्माननीय होता है, उसके चरण को हाथों से स्पर्श करके आशीर्वाद लिया जाता है. उन्हें कभी पैर नहीं लगाया जाता.
– गाय को शास्त्रों में पूज्यनीय माना गया है, कन्या को देवी का रूप कहा गया है और शिशु को भगवान का रूप कहा जाता है. ऐसे में इन तीनों को भी पैर नहीं लगाना चाहिए. अथर्ववेद में तो गाय को पैर लगाने पर दण्ड का प्रावधान है.


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