धर्म-अध्यात्म

Chanakya Niti : आचार्य की ये 5 बातें जिस व्यक्ति ने समझ लीं, उसके जीवन में दुख आसानी से नहीं आता, जाने

Bhumika Sahu
13 Nov 2021 2:40 AM GMT
Chanakya Niti : आचार्य की ये 5 बातें जिस व्यक्ति ने समझ लीं, उसके जीवन में दुख आसानी से नहीं आता, जाने
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आचार्य चाणक्य ने जीवन में ऐसी तमाम बातें कही हैं, जिनका पालन करके व्यक्ति अपने जीवन से तमाम संकटों को दूर कर सकता है. बता दें आचार्य चाणक्य प्रकांड विद्वान थे, जिनकी कही बातें आज के समय में भी सटीक साबित होती हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि 'दुनिया में ऐसा किसका घर है, जिस पर कोई कलंक नहीं, वो कौन है, जो रोग और दुख से मुक्त है. सदा सुख किसके पास रहता है?' इस वाक्य को पढ़कर ये आसानी से समझा जा सकता है कि आचार्य चाणक्य भी मानते थे कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलु हैं, जो समय समय पर अपनी दस्तक देते हैं.

लेकिन व्यक्ति चाहे तो अपने आचरण से तमाम परेशानियों को जीवन में आने से रोक सकता है और अपने दुख को काफी हद तक कम कर सकता है. आचार्य ने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में ऐसे कुछ बातें कही हैं, जिनको समझकर व्यक्ति तमाम संकटों से खुद का बचाव कर सकता है. ऐसे लोगों के पास दुख आसानी से नहीं भटकता.
1. आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, बोलचाल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, प्रेम से जीवन में मान और सम्मान बढ़ता है और भोजन से शरीर का बल बढ़ता है. व्यक्ति को इन चीजों का खयाल रखना चाहिए.
2. आचार्य चाणक्य का कहना है कि परोपकार और तप से मिला पुण्य तात्कालिक होता है, लेकिन यदि आपका दान किसी सुपात्र को जाता है तो उससे औरों का भी कल्याण होता है. ऐसा पुण्य लंबे समय तक आपके साथ रहता है. इसलिए दान हमेशा सुपात्र को करें.
3. आचार्य चाणक्य का कहना था कि जो जन्म से अंधा है, वो मजबूरी के कारण देख नहीं सकता, लेकिन जो वासना के अधीन है, अहंकारी है, और पैसों के पीछे भागने वाला है, ऐसा व्यक्ति स्वयं को खुद ही अंधा बना लेता है. ऐसे लोगों को किसी कर्म में पाप नजर नहीं आता. इसलिए इन कर्मों से स्वयं को बचाकर रखें.
4. एक लालची आदमी को भेंट देकर आसानी से संतुष्ट किया जा सकता है. एक कठोर व्यक्ति को हाथ जोड़कर संतुष्ट किया जा सकता है, एक मूर्ख को सम्मान देकर संतुष्ट कर सकते हैं और एक विद्वान को सच बोलकर संतुष्ट कर सकते हैं.
5.आचार्य का मानना था कि एक हाथों की शोभा गहनों से नहीं, दान देने से होती है. निर्मलता चन्दन का लेप लगाने से नहीं, जल से नहाने से आती है. एक व्यक्ति भोजन खिलाने से नहीं, सम्मान देने से संतुष्ट होता है. मुक्ति खुद को सजाने से नहीं, अध्यात्मिक ज्ञान को जगाने से होती है.


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