धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति : छात्र जीवन में करे इन 7 चीजों का त्याग, सफलता चूमेगी आपके कदम

Renuka Sahu
16 Oct 2021 1:16 AM GMT
चाणक्य नीति : छात्र जीवन में करे इन 7 चीजों का त्याग, सफलता चूमेगी आपके कदम
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फाइल फोटो 

आचार्य चाणक्य ने तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की थी और लंबे समय तक इसी विश्वविद्यालय में वे शिक्षक पद पर आसीन रहे

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य ने तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की थी और लंबे समय तक इसी विश्वविद्यालय में वे शिक्षक पद पर आसीन रहे. इस दौरान उन्होंने तमाम छात्रों का भविष्य संवारा. साथ ही कई ऐसी रचनाएं कीं, जिसमें छात्र जीवन से जुड़ी तमाम बातों के अलावा, मानवीय मूल्यों, सफलता, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि तमाम विषयों पर लोगों का मार्गदर्शन किया गया है.

आचार्य चाणक्य का नीतिशास्त्र ग्रंथ काफी लोकप्रिय है और इसमें लिखी बातें आज भी प्रासंगिक हैं. इसे ही चाणक्य नीति के नाम से भी जाना जाता है. इसमें लिखी बातों का यदि व्यक्ति अनुसरण कर ले, तो तमाम मुश्किलों से बहुत आसानी से पार पा सकता है. यहां जानिए छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए आचार्य ने छात्र जीवन में किन आदतों को छोड़ने की बात कही है.
1. आलस
आचार्य के मुताबिक छात्र जीवन तपस्या का समय होता है और इसमें कभी भी आलस को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए. आलस की वजह से छात्र ठीक तरह से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाता और भविष्य में इसके परिणाम भुगतता है. यदि लक्ष्य को प्राप्त करना है तो आलस का पूरी तरह त्याग जरूरी है.
2. क्रोध
आचार्य चाणक्य के अनुसार क्रोध किसी को भी बर्बाद करने की ताकत रखना है. क्रोध की वजह से व्यक्ति अपने सोचने समझने की क्षमता को क्षीण कर लेता है और गलत फैसले ले लेता है. इसके परिणाम उसे भविष्य में भुगतने पड़ते हैं. इसलिए क्रोध की इस आदत को त्याग देना ही हितकर है.
3. अतिनिद्रा का त्याग करें
आचार्य का मानना था कि एक विद्यार्थी को कभी 8 घंटे से ज्यादा नींद नहीं लेनी चाहिए. वरना यही आदत उसकी कामयाबी में बाधा बन जाती है. इसलिए समय से अधिक नींद लेने की आदत को छोड़ देने में भ​लाई है.
4. लालच
लालच व्यक्ति को गलत काम को करने के लिए प्रेरित करता है. ये छात्रों के जीवन में समय से पहले ही बड़ी परेशानियां पैदा कर सकता है और उनकी उन्नति में बाधा बनता है. इसलिए एक छात्र को लालच जैसे अवगुण से दूर रहना चाहिए. प्रा
5. स्वाद, श्रंगार और मनोरंजन का करें त्याग
आचार्य चाणक्य के अनुसार एक विद्यार्थी को तपस्वी की तरह जीवन जीना चाहिए. साधारण और संतुलित भोजन करना चाहिए. स्वाद के फेर में पड़कर ऐसा कुछ नहीं खाना चाहिए जो उनकी इस तपस्या में विघ्न उत्पन्न करे. साथ ही श्रंगार और मनोरंज से दूर रहना चाहिए.
6. गुरु का अपमान न करें
गुरु का अपमान करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता. इसलिए कभी भी गुरू का अपमान न करें. याद रखें आपकी सही शिक्षा सिर्फ किताबों से पूर्ण नहीं होती, बल्कि गुरू के सही मार्गदर्शन से होती है. इसलिए गुरू का हमेशा आदर करें.
7. माता पिता अपमान न करें
माता पिता को भगवान से भी बड़ा माना गया है. माता पिता ही बच्चे की पहली पाठशाला होते हैं और गुरू की तरह ही बच्चे को शिक्षित करते हैं. इसलिए अपने माता पिता का कभी भी अपमान न करें.


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