- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Chanakya Niti:...
धर्म-अध्यात्म
Chanakya Niti: माता-पिता को संतान को बुरी आदतों से बचाना चाहिए
Bhumika Sahu
6 Dec 2021 4:15 AM GMT
![Chanakya Niti: माता-पिता को संतान को बुरी आदतों से बचाना चाहिए Chanakya Niti: माता-पिता को संतान को बुरी आदतों से बचाना चाहिए](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/12/06/1417294-chanakya-niti-.webp)
x
सैकड़ों वर्षों पूर्व आचार्य चाणक्य द्वारा कही गई बातें, आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और काफी हद तक सटीक साबित होती हैं. आचार्य की इन बातों से सीख लेकर व्यक्ति तमाम मुश्किलों से आसानी से निपट सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य के बारे में जो भी कहा जाए कम है. चाणक्य विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे. आचार्य चाणक्य असाधारण और बुद्धि के स्वामी थे. चाणक्य ने अपने बुद्धि कौशल की दमपर समूचे नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया था. मौर्य साम्राज्य की स्थापना में आचार्य का ही परम योगदान माना जाता है.आचार्य चाणक्य ने सालों पहले जो बातें कहीं थीं आज के वक्त में सटीक बैठती हैं. उन्होंने अपनी नीतियों हर एक बात को उल्लेख किया था.
आचार्य ने निजी जीवन, राजनीति, धन हर एक विषय पर गहन बातें की हैं. आपको बता दें कि चाणक्य नीति के अनुसार माता पिता को अपनी संतान पर हमेशा की खास रूप ले ध्यान देना चाहिए. चाणक्य नीति में बताया गया है कि अगर संतानदि योग्य हो तो इससे बड़ा सुख माता पिता के लिए और कुछ नहीं होता है. यदि शुरू से ही संतान को योग्य बनाने पर ध्यान दिया जाओ तो उसको बुरी आदतों से भी बचाया जा सकता है. आइए जानते हैं चाणक्य नीति.
जानिए संतान पर क्या है चाणक्य ने कहा
माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने साफ किया है कि माता पिता को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए परिश्रम करना चाहिए और जो अपनी संतान को शिक्षा नहीं दिलाते हैं, ऐसे माता पिता बच्चों के लिए किसी शत्रु से कम नहीं है. दरअसल ज्ञान और शिक्षा नहीं होने से बच्चें कभी विद्वानों के बीच स्वयं को असहज महसूस करते हैं. ऐसे में माता पिता को बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए हर तरह के परिश्रम को करना चाहिए, क्योंकि शिक्षा से ही जीवन को सरल और सहज बनाया जा सकता है.
लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः ।
तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्नतुलालयेत् ।।
चाणक्य नीति का यह श्लोक संतान को योग्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है. इस श्लोक का अर्थ ये है कि माता पिता के द्वारा दिए जाने वाले बेहद प्यार से बच्चे गलत आदतों को भी अपना लेते हैं. बच्चों पर माता को सख्ती भी दिखानी चाहिए. संतान के प्रति माता पिता को किसी प्रकार की लापरवाही कभी नहीं करना चाहिए. माता पिता की सलाह और उचित देखभाल ही संतान को योग्य बनाने में बड़ी भूमिका निभाती है. संस्कारवान संतान राष्ट्र के निर्माण भी विशेष योगदान प्रदान करती है. शिक्षा और संस्कार से ही व्यक्ति जीवन में अपार सफलताएं प्राप्त करता है.
Next Story