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Chanakya Niti: इस तरह के धन को कभी न लगाएं हाथ....वर्ना होगी सम्मान की हानि, जानिए

Bhumika Sahu
18 Oct 2021 1:41 AM GMT
Chanakya Niti: इस तरह के धन को कभी न लगाएं हाथ....वर्ना होगी सम्मान की हानि, जानिए
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आचार्य चाणक्य ने पूरे समाज के लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए ही नीतिशास्त्र की रचना की थी. उनके नीति पर जो भी चलता है वो सफलता की नई ऊंचाईयों को छूता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी की पूर्व के समयों में हुआ करती थीं. आचार्य चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री, रणनीतिकार और एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ थे.

उन्हीं की नीतियों के कारण चंद्रगुप्त मौर्य मगध का सम्राट बना था. वो अपनी बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते हैं. राजनीति के अच्छे गुर उन्हें आते थे. वो अपनी बुद्धिमानी से हर तरह के सवालों को बड़ी ही आसानी से हल कर दिया करते थे.
आचार्य चाणक्य ने पूरे समाज के लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए ही नीतिशास्त्र की रचना की थी. उनके नीति पर जो भी चलता है वो सफलता की नई ऊंचाईयों को छूता है, उसे अपने जीवन में कभी भी किसी प्रकार की कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता है और वो अपने परिवार के साथ सुखी और संपन्न रहता है.
हालांकि, आज के परिदृश्य में देखें तो लोग आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण न के बराबर ही करते हैं. आज की भागदौड़ वाले जीवन में लोगों के पास थोड़ा भी समय नहीं है कि वो अपने जीवन में के बारे में गहनता से सोच सकें और आचार्य की नीतियों का अनुसरण कर अपने जीवन को आगे बढ़ाने का प्रयत्न करें.
हालांकि, ऐसा न करने से उन्हें कई सारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है. ऐसे में अगर हम चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करते हैं तो हमें जीवन में आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता.
आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र के माध्यम से धन से जुड़ी कुछ चीजें बताई हैं, जो आपको अवश्य जाननी चाहिए-
सदाचार का त्याग
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को ऐसे धन को कमाने से हमेशा बचना चाहिए, जिसके लिए उन्हें सदाचार का त्याग करना पड़ जाए. अगर आप धोखाधड़ी से धन कमाते हैं तो वो आपके बुरे समयों में काम नहीं आता. इसके साथ ही आपके सम्मान को भी हानि पहुंचती है.
शत्रु की चापलूसी
चाणक्य का ऐसा मानना है कि जो धन चापलूसी करके कमाया गया हो, वो पूरी तरह से व्यर्थ ही होता है क्योंकि इस तरह के धन को हासिल करके व्यक्ति को हमेशा अपमान ही सहना पड़ता है.
यातना सहनी पड़े
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इस तरह के धन को हासिल करने से सदैव बचना चाहिए जिसके लिए उसे हर दिन किसी की यातना ही सहनी पड़े. इस तरह के धन को कमाने से उस व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के कष्टों को सहना पड़ता है.


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