धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति : इन 3 कार्यो को कभी न करें, क्योंकि इससे मान- सम्मान होता हैं कम

Renuka Sahu
27 Sep 2021 1:25 AM GMT
चाणक्य नीति : इन 3 कार्यो को कभी न करें, क्योंकि इससे मान- सम्मान  होता हैं कम
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फाइल फोटो 

आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब नीतिशास्त्र में जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं का जिक्र किया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने अपनी किताब नीतिशास्त्र में जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं का जिक्र किया है. नीतिशास्त्र में ऐसी बातों के बारे में बताया है जिन्हें त्याग देना ही फायदेमंद होता है.

आचार्य चाणक्य को सबसे विद्वान व्यक्तियों में गिना जाता है. वे कुशल कूटनीति, राजनीति और अर्थशास्त्र के महान ज्ञान थी. उन्होंने अपने जीवन की विकट परिस्थितियों में कभी भी हार नहीं मानी है. आचार्य चाणक्य ने अपने सबसे बड़े शत्रु घनांनद का नाश कर साधारण से बालक चंद्रगुप्त को मौर्य सम्रार्ट बनाया था. उन्होंने अपने जीवन काल में कई किताबों और ग्रंथों को लिखा था. चाणक्य को कौटिलय और विष्णु गुप्त के नाम से जाना जाता है.
चाणक्य ने नीतिशास्त्र में जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया है. उन्होंने नीतिशास्त्र में धन, तरकक्की, दोस्ती, शत्रुता, सफलता से जुड़ी बातों का जिक्र किया है. चाणक्य ने अपनी किताब में ऐसी बातों के बारे में बताया है जिन्हें त्याग देना ही अच्छा होता है, वरना जीवन में हमेशा मान- सम्मान की हानि उठानी पड़ती है.
निंदा करना
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सदैव निंदा करने से बचना चाहिए. जो लोग दूसरों की निंदा करते हैं और उनके पीठ पीछे बुराई करते हैं. उन्हें जीवन में कभी भी मान सम्मान नहीं मिलता है. ऐसे लोगों से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि जो लोग दूसरों की बुराई करते हैं वे सैदव दूसरों के हंसी और घृपा का पात्र बनते हैं.
झूठ बोलना
हमें बचपन से यही सिखाया जाता है कि हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए. रास्ते में कितनी भी कठनाई क्यों न हों लेकिन सत्य का मार्ग कभी नहीं छोड़ना चाहिए. चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति सफल होने के लिए झूठ के मार्ग का साहरा लेता है उसकी सफलता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती है. जब व्यक्ति का सच्च दूसरों के सामने आता है तो उसे लज्जित होना पड़ता है. इसलिए कभी भी किसी कार्य को करने के लिए झूठ का साहरा नहीं लेना चाहिए.
बातों को बढ़ा चढ़ाकर बताना
कुछ लोग अपनी बातों को दूसरे सामने अपनी बातों को बढ़ा- चढ़ाकर दिखाते हैं. ये लोग दूसरों के सामने खुद को धनवान और प्रतिभावान दिखाने की कोशिश करते हैं. इस तरह के लोगों का जब भांड़ा फूटता है तो दूसरों के सामने लज्जित होना पड़ता है. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को कभी भी अपने साधारण व्यक्तित्व को लेकर झूठ नहीं बोलना चाहिए. अपने संस्कार और बुद्धि पर भरोसा होना चाहिए.


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