धर्म-अध्यात्म

Chanakya Niti: एक कुत्ते से जरूर सीखे ये 4 गुण, जानिए क्या क्या ?

Ritisha Jaiswal
5 April 2022 3:23 PM GMT
Chanakya Niti: एक कुत्ते से जरूर सीखे ये 4 गुण, जानिए क्या क्या ?
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आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में सफल जीवन जीने के कई रास्ते बताए हैं।

आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में सफल जीवन जीने के कई रास्ते बताए हैं। उन्होंने बताया है कि व्यक्ति के सीखने की कोई उम्र नहीं होती है और जब चाहे अपने आसपास से कुछ न कुछ जरूर सीख सकते हैं। जैसे कि कुत्ते से काफी कुछ सीखा जा सकता है जो आपको लक्ष्य पाने के साथ-साथ समाज में मान-सम्मान दिखा सकता है। जानिए कुत्ते से कौन से गुण सीखना होगा लाभकारी।

श्लोक
बह्वाशी स्वल्प सन्तुष्टः सुनिद्रा लघुचेतसः।
स्वामिभक्तश्च शूरश्च षडेते श्वानों गुणाः॥
अधिक भूखा होने पर भी थोड़े में ही संतोष कर लेना, गहरी नींद में होने पर भी सतर्क रहना, स्वामिभक्त होना और वीरता एक कुत्ते से ये चार गुण हर किसी को सीखने चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी खाने के पीछे भागना नहीं चाहिए। जितना खाना मिल जाए उसे उतने में ही संतोष कर लेना चाहिए। अगर आपको भूख लगती हैं और उस समय आपको थोड़ा सा भी खाना मिल जाता है तो उसे बिना मुंह बनाएं प्रेम से खा लेना चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार, आपके पास जो चीज है उसी पर संतोष करना चाहिए। कभी भी ज्यादा की अपेक्षा नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे आपको दुख ही मिलेगा।
गहरी नींद में भी सतर्क रहना
चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को गहरी नींद में नही सोना चाहिए। हमेशा कुत्ते की तरह नींद लेना चाहिए। जरा सी आहट होने पर जिस तरह कुत्ते की नींद खुल जाती है। उसी तरह व्यक्ति की नींद होनी चाहिए। इससे वह जरूरत पड़ने पर तुरंत सतर्क हो सकता है।
स्वामिभक्त
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को कुत्ते की तरह स्वामिभक्त होना चाहिए यानी जिस तरह एक कुत्ता अपने मालिक के प्रति वफादार होता है। उसी तरह मनुष्य जिसे प्यार करता है उसके प्रति उसे वफादार होना चाहिए। नौकरी करने पर अपनी संस्था के प्रति वफादार होना चाहिए। क्योंकि इसी तरह आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर खुशहाल जीवन जी सकते हैं।
वीरता
व्यक्ति को कुत्ते से वीरता का गुण तो अवश्य सीखना चाहिए। वह एक बहादुर जानवर होता है जो अपने मालिक को नुकसान पहुंचाने वाले के आगे खुद खड़ा हो जाता है और अपनी जान तक गंवा देता है। इसी तरह व्यक्ति को हमेशा निडर होना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए।


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