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धर्म-अध्यात्म
Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के अनुसार, जीवन के लिए ज़रुरी हैं यह 5 नीतियां
Nilmani Pal
17 Nov 2020 11:30 AM GMT
![Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के अनुसार, जीवन के लिए ज़रुरी हैं यह 5 नीतियां Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के अनुसार, जीवन के लिए ज़रुरी हैं यह 5 नीतियां](https://jantaserishta.com/h-upload/2020/11/17/853099-chankya.webp)
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जीवन के हर पहलू से जुड़ी ये नीतियां इंसान को तरक्की, सफल व आर्थिक उन्नत बना सकती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कौटिल्य…. जिन्हें चाणक्य(Chanakya) के नाम से भी जाना जाता है. इन्होंने अपने जीवन के अनुभव के आधार पर ही चाणक्य शास्त्र(Chanakya Shastra) की रचना की. जिसमे लिखी गई नीतियां आज भी प्रासंगिक मानी जाती हैं. जीवन के हर पहलू से जुड़ी ये नीतियां इंसान को तरक्की, सफल व आर्थिक उन्नत बना सकती है. यूं तो इस शास्त्र में कई नीतियों का उल्लेख है लेकिन 5 ऐसी महत्वपूर्ण चाणक्य की नीतियां हैं जिनको जाने बिना आपका ज्ञान अधूरा ही रहेगा. आज हम उन्हीं नीतियों के बारे में आपको बता रहे हैं.
जीवन के लिए ज़रुरी हैं ये 5 चाणक्य नीतियां
- पहली बात ये कि मनुष्य को ऐसी जगह कभी नहीं रहना चाहिए जहां रोज़गार का साधन ना हो. क्योंकि व्यक्ति को जीवन जीनेैं य के लिए रोज़गार चाहिए अन्यथा जीवनयापन कठिन हो जाता है. ऐसे में वहीं रहें जहां काम धंधा हो.
- चाणक्य की माने तो मनुष्य के भीतर डर ज़रुरी है. डर होना चाहिए गलत कामों के बाद सामने आने वाले परिणामों का. ऐसे में उस जगह पर नहीं रहना चाहिए जहां लोग किसी भी बात से डरते न हो। क्योंकि डर नहीं होगा तो समाज में अराजकता में बढ़ोतरी होती जाती है.
- चाणक्य की एक बहुत ही महत्वपूर्ण नीति है लज्जा. उनके मुताबिक लज्जा का होना बहुत ही ै ज़रुरी है. क्योंकि निर्लज मनुष्य ना तो किसी का सम्मान करता है और ना ही सम्मान पाता है. इसीलिए वहीं रहें जहां व्यक्तियों के भीतर लज्जा का भाव हो.
- चाणक्य की माने तो सदैव बुद्धिमान लोगों के बीच ही रहना चाहिए और बुद्धिमान लोगों के साथ ही चर्चा करनी चाहिए. कौटिल्य शास्त्र की माने तो मूर्ख लोगों के बीच भूलकर भी नहीं रहना चाहिए. क्योंकि इन लोगों के बीच समय बिताने से अच्छा है अकेले रहना. इसीलिए वहीं पर रहें जहां पर बुद्धि व विवेक का वास हो.
- चाणक्य दान का महत्व भी बताते हैं. नीति शास्त्र की माने तो जीवन में दान दक्षिणा बहुत ही ज़रुरी है. इसीलिए ऐसे लोगों के बीच ही रहना चाहिए जो धर्म कर्म को मानते हों और दान की प्रवृत्ति का अनुसरण करते हों.
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Nilmani Pal
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