धर्म-अध्यात्म

Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के अनुसार, इस जगह पर अगर 5 चीजें न हों तो वहां पर निवास स्थान नहीं बनाना चाहिए

Nilmani Pal
2 Dec 2020 11:35 AM GMT
Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के अनुसार, इस जगह पर अगर 5 चीजें न हों तो वहां पर निवास स्थान नहीं बनाना चाहिए
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ऐसी पांच जगहों को व्यक्ति को अपने निवास स्थान के लिए नहीं चुनना चाहिए

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र (Chanakya Niti) में जीवन को सरल एवं सफल बनाने के लिए कई सुझाव दिए हैं. आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से ऐसी बातों का जिक्र किया है, जिस स्थान पर 5 चीजें न हों उस जगह पर निवास स्थान नहीं बनाना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि जिस स्थान पर आजीविका ना मिले, लोगों में भय, लज्जा, उदारता और दान देने की प्रवृत्ति ना हो तो ऐसी पांच जगहों को व्यक्ति को अपने निवास स्थान के लिए नहीं चुनना चाहिए.

लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।

पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम् ॥

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने उन पांच स्थानों के बारे में बताया है....

  • जहां रोजी-रोटी का साधन अथवा आजीविका या व्यापार की स्थिति न हो.
  • जहां लोगों में लोक-लाज व किसी प्रकार का भय न हो.
  • जिस स्थान पर परोपकारी लोग न हों और जिनमें त्याग की भावना न पाई जाती हो.
  • जहां लोगों को समाज या कानून का कोई भय न हो.
  • जहां के लोग दान देना जानते ही न हों.

1- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जहां रोजी-रोटी का कोई साधन ना हो और आजीविका-व्यापार करने का साधन ना हो वहां व्यक्ति को नहीं रहना चाहिए. दरअसल, आजीविका के बिना इंसान अपना जीवन ठीक से व्यतीत नहीं कर सकता. इसलिए रहने के लिए उस जगह का चुनाव करना चाहिए जहां व्यापार करने या आजीविका का कोई साधन हो.

2- चाणक्य कहते हैं कि उस जगह पर भी नहीं रहना चाहिए जहां लोक-लाज अथवा किसी प्रकार का डर ना हो. चाणक्य कहते हैं कि जहां लोगों में ईश्वर, लोक, परलोक में आस्था होगी वहीं पर सामाजिक आदर का भाव होगा. जहां का समाज मर्यादित होगा वहीं पर संस्कार का विकास होगा. इसलिए आपको हमेशा उस स्थान पर रहना चाहिए जहां लोक लाज की भावना हो.

3-चाणक्य के अनुसार जिस जगह पर परोपकारी लोग ना हों और जिनमें त्याग की भावना नहीं पाई जाती हो, उस जगह पर भी रहने से बचना चाहिए. ऐसी जगह पर रहने से इंसान को केवल कष्ट ही प्राप्त होते हैं. चाणक्य कहते हैं कि हमें हमेशा उस जगह पर रहना चाहिए जहां लोगों में परोपकारी और कुशलता की भावना हो.

4- चाणक्य कहते हैं कि जहां लोगों में समाज और कानून का कोई भय ना हो ऐसे स्थान पर भी नहीं रहना चाहिए. ऐसी जगहों पर रहने से मन में असुरक्षा की भावना बनी रहती है. चाणक्य कहते हैं कि इंसान को उस जगह पर रहना चाहिए जहां व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए कानून न तोड़कर दूसरों के हित के लिए कार्य एवं समाज सेवा भी कर सके.

5- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जहां के लोगों में दान देने की भावना ना हो ऐसे स्थान पर भी नहीं रहना चाहिए. दान देने से ना सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि अंतरात्मा भी पवित्र होती है. चाणक्य कहते हैं कि दान देने की भावना लोगों को एक-दूसरे के सुख-दुख में काम आने की भावना को भी दर्शाती है.

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