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Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के अनुसार, कैसा होना चाहिए एक व्यापारी का बर्ताव
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चाणक्य शिक्ष होने के साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे. चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से भी था. चाणक्य ने इसी विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और बाद में वे इस विश्व विद्यालय में आचार्य भी हुए.
चाणक्य ने अपने जीवन में कई विषयों का अध्ययन किया. चाणक्य ने उन चीजों के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश की जो मनुष्य के जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं. चाणक्य ने अपने अध्ययन और अनुभव के आधार पर पाया कि जो व्यक्ति व्यक्ति जोखिम उठाने का साहस नहीं रखता है वो कभी सफल नहीं होता है. यह बात उन्होंने व्यापार करने वालों के लिए भी कही. इसीलिए जो व्यापार आदि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उन्हें चाणक्य की इन बातों को गंभीरता से समझना चाहिए.
चाणक्य सिर्फ एक शिक्षक ही नहीं थे वे अर्थशास्त्र के भी बहुत बड़े विद्वान थे. इसलिए उन्होंने अर्थशास्त्र को बल प्रदान करने वाले व्यापार का भी बहुत गहराई से अध्ययन किया था. चाणक्य के अनुसार सफल व्यापारी वही है जो जोखिम उठाने के लिए सदैव तैयार रहता है. चाणक्य नीति कहती है कि व्यापारी को विश्व के किसी भी कोने में व्यापार करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए.
समाने शोभते प्रीती राज्ञि सेवा च शोभते।
वाणिज्यं व्यवहारेषु स्त्री दिव्या शोभते गृहे॥
चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया कि एक व्यापारी यानि बिजनेसमैन का बर्ताव कैसा होना चाहिए. इस श्लोक का अर्थ है- दोस्ती बराबर वालों से ही करनी चाहिए. व्यापार में लोक व्यवहार और घर में उत्तम गुणों से युक्त स्त्री ही उपयुक्त है.
चाणक्य की चाणक्य के अनुसार बिजनेस में वही लोग सफल होते हैं जो जो व्यवहार कुशल होते हैं. इसके साथ ही सफल बिजनेस मैन को बातों में भी माहिर होना चाहिए. क्योंकि व्यापार में इन दोनों ही चीजों का भरपूर प्रयोग होता है. लोक व्यवहार और वाकपटुता ही व्यापार में सफलता का आधार है.
दूर जाने से नहीं घबराना चाहिए
चाणक्य कहते हैं कि व्यापार के लिए यदि सात समंदर पार भी जाना पड़े तो जाना चाहिए. व्यापारी को साहसी भी होना चाहिए. जिस व्यापारी में साहस की कमी होती है वह सदैव बड़े लाभ से वचिंत रहता है.