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Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के नीति शास्त्र के अनुसार, मनुष्य को उसके पिछले जन्म के आधार पर मिलती हैं 6 चीजें

Nilmani Pal
5 Nov 2020 3:45 PM GMT
Chanakya Niti: जानिए चाणक्य के नीति शास्त्र के अनुसार, मनुष्य को उसके पिछले जन्म के आधार पर मिलती हैं 6 चीजें
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बेहतर भोजन के बाद चाणक्य व्यक्ति में अच्छी पाचन शक्ति यानी खाने को पचा जाने की शक्ति को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र यानी 'चाणक्य नीति' में ऐसे 6 गुणों का वर्णन किया है जो मनुष्य को पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर ही मिलते हैं. आइए जानते हैं उन 6 गुणों के बारे में...

भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर्वराङ्गना ।

विभवो दानशक्तिश्च नाल्पस्य तपसः फलम् ॥


चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय में वर्णित इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को उसके पिछले जन्म के आधार पर 6 चीजें मिलती हैं. इनमें सबसे पहले वो भोजन का जिक्र करते हैं. वो कहते हैं कि भाग्य के धनी लोगों को ही बेहतर भोजन मिल पाता है. इसके लिए वो पिछले जन्म के कर्मों को कारण बताते हैं.

बेहतर भोजन के बाद चाणक्य व्यक्ति में अच्छी पाचन शक्ति यानी खाने को पचा जाने की शक्ति को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं. चाणक्य के मुताबिक पिछले जन्म में अच्छे कर्म करने वाल लोगों के पास ही खाना पचा जाने की शक्ति होती है. नहीं तो अच्छे-अच्छे लोगों को भोजन से दिक्कत हो जाती है.

तीसरे स्थान पर चाणक्य जीवन संगिनी को रखते हैं. वो कहते हैं सुंदर और गुणवान लाइफ पार्टनर का मिलना भी पिछले जन्म के कर्मों पर निर्भर करता है. गुणवान पार्टनर मिल जाए तो जीवन की आधी मुसीबत हल हो जाती है.

आचार्य चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि व्यक्ति को खुद पर काम को हावी नहीं होने देना चाहिए. वो कहते हैं कि काम के वश में रहने वाला व्यक्ति जल्द ही बर्बाद हो जाता है.

5वीं चीज आचार्य पैसे के इस्तेमाल की जानकारी को मानते हैं. वो कहते हैं धन कमाने से ज्यादा मुश्किल धन को सहेजकर रखना और उचित जगह पर उसका इस्तेमाल करने की कला में माहिर होना होता है. चाणक्य के मुताबिक मनुष्य के अंदर यह गुण भी उसके कर्मों के पुण्यों से ही प्राप्त होता है.

दानी स्वभाव को भी चाणक्य बेहद अहम मानते हैं. वो कहते हैं कि दुनिया में पैसे वालों की कमी नहीं है लेकिन दान देने की आदत या इच्छा शक्ति गिनेचुने लोगों में होती है. ये सभी गुण पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर व्यक्ति में समाहित होते हैं.

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