धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति : मित्र बना भी सकता है और मिटा भी सकता है, इसलिए मित्रता सोच समझकर ही करें

Renuka Sahu
15 Oct 2021 1:18 AM GMT
चाणक्य नीति : मित्र बना भी सकता है और मिटा भी सकता है, इसलिए मित्रता सोच समझकर ही करें
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फाइल फोटो 

यदि किसी व्यक्ति से सच्चा मित्र हो, तो समझिए आपके पास सच्ची दौलत है क्योंकि एक सच्चा मित्र आपको कभी नीचे नहीं गिरने देता.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यदि किसी व्यक्ति से सच्चा मित्र हो, तो समझिए आपके पास सच्ची दौलत है क्योंकि एक सच्चा मित्र आपको कभी नीचे नहीं गिरने देता. आपके बुरे समय में ढाल की तरह आपके साथ खड़ा रहता है. लेकिन मित्रता को विश्वास हासिल करने के लिए समय के साथ कड़ी चुनौतियों के बीच गुजरना होता है. तब जाकर सच्चे मित्र की परख हो पाती है.

आचार्य चाणक्य का भी मानना था कि अगर आपके पास सच्चा मित्र है, तो उसकी हमेशा कद्र करें और उसे कभी खुद से दूर न जाने दें. साथ ही आचार्य ये भी कहते थे कि आपको कभी ​भी किसी से मित्रता करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. न ही उसकी बातों पर इतनी जल्दी भरोसा करना चाहिए. ​अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अपयश का करना पड़ सकता है सामना
आचार्य का मानना था कि कभी कभी कोई व्यक्ति हमें बहुत अच्छा लगता है और हम उसकी परख किए बगैर ही उस पर यकीन करने लगते हैं. उसकी बातों में आ जाते हैं और तेजी से उसके साथ अपने रिश्ते विकसित करने लगते हैं. लेकिन बाद में जब सच का पता चलता है तो पछतावे के सिवा और कुछ भी पास नहीं रहता. चंद दिनों से मिले इंसान पर यकीन करना काफी घातक साबित हो सकता है. इसलिए इन मामलों में कभी भी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. जल्दबाजी में बनाए रिश्ते आपको मानसिक तनाव और अपयश दे सकते हैं.
सच्चे रिश्तों की करें कद्र
जो लोग आपके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, आपके बुरे समय में आपके साथ खड़े होते हैं, ऐसे लोग वास्तव में बहुमूल्य होते हैं और आपके सच्चे मित्र होते हैं. ऐसे लोगों के प्रति आपको अपना व्यवहार विनम्र रखना चाहिए और उनके साथ सम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसे रिश्ते के बीच में कभी भी अहंकार को नहीं आने देना चाहिए और न ही उसके दि​ल को ठेस पहुंचानी चाहिए और विश्वास तोड़ना चाहिए वरना आप स्वयं अपने हाथों से सब कुछ खत्म कर बैठते हैं. विश्वास को बनने में लंबा समय लगता है, लेकिन इसे तोड़ने के लिए क्षणभर काफी होता है. अगर एक बार किसी का विश्वास टूट जाए, तो उसे दोबारा पाना बहुत मुश्किल होता है. याद रखिए सच्चे रिश्ते स्वार्थ से नहीं बनते, ये प्रेम से बनते हैं. इन्हें प्रेम से ही संभाला जाना चाहिए.


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