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धर्म-अध्यात्म
Chanakya Niti : आचार्य की चार ऐसी बातें जिनका ध्यान रखकर मुसीबतों से बच सकते हैं
Bhumika Sahu
5 Dec 2021 2:18 AM GMT
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कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बार बार गलतियां करते हैं, फिर भी उन गलतियों से कुछ नहीं सीखते. ऐसे लोगों के जीवन में संघर्ष का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता. आचार्य चाणक्य की कुछ बातें पढ़कर आपको तमाम मुसीबतों से बचने का तरीका पता चल सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जीवन में गलतियां सभी से होती हैं. लेकिन अपनी गलतियों से हमें सीख लेनी चाहिए ताकि वो हमारे लिए एक अनुभव बने और हम भविष्य में वैसी ही गलती दोबारा करके नुकसान न उठाएं. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बार बार गलतियां करते हैं, फिर भी उन गलतियों से कुछ नहीं सीखते. ऐसे लोगों के जीवन में संघर्ष का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता. ऐसे लोग मुश्किलों को खुद ही बार बार आमंत्रित करते हैं. यदि आप जीवन में आने वाली समस्याओं को कम करना चाहते हैं तो हर काम को सावधानी के साथ और गंभीरता के साथ करना सीखें. पहलें सोचें, फिर समझें और परखें, इसके बाद किसी निर्णय पर पहुंचें.
आचार्य चाणक्य ने भी अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया, लेकिन हमेशा अपने संघर्षों से सीखने का प्रयास किया और उनके इस व्यवहार ने उन्हें दूरदर्शिता प्रदान की. ये आचार्य चाणक्य की दूरदर्शिता और बुद्धि कौशल का ही नतीजा था कि उन्होंने पूरे नंद वंश का नाश कर एक साधारण बालक को सम्राट बना दिया था. अपने जीवन के दौरान तमाम क्षेत्रों में आचार्य चाणक्य ने जो भी सीखा और समझा, उसे चाणक्य नीति ग्रंथ के जरिए लोगों से साझा किया है. यहां जानिए चार ऐसी बातें जिनका ध्यान रखकर हम मुसीबतों से बच सकते हैं.
ये 4 बातें रखें याद
1. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हर व्यक्ति को कदम फूंक फूंक कर रखना चाहिए और हमेशा नीचे देखकर ही पैर रखना चाहिए. जो लोग ऐसा नहीं करते हैं, वो कभी न कभी ठोकर खाकर जरूर गिरते हैं. ऐसे लोग अपने लिए मुसीबत को खुद भी बुलाते हैं. इसका सीधा सा मतलब है कि जीवन में हर कदम पर हमें सावधान रहना चाहिए.
2. यदि शरीर को स्वस्थ रखना है तो पानी की स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. पानी को हमेशा छानकर पीना चाहिए. पहले के समय में प्यूरीफायर नहीं हुआ करते थे, इसलिए पानी को कपड़े से छानने की बात कही गई है. देखा जाए तो आज भी चाणक्य की इस बात का पालन किया जाता है, इसीलिए लोग पानी की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते हैं. है.
3. आचार्य का कहना था कि किसी भी काम को पूरे मन से करें यानी काम को करते समय हर तरह से सोचें, समझें और निष्कर्ष तक पहुंचें. इसके बाद ही कोई फैसला लें. ताकि आप उस फैसले के हर परिणाम के लिए खुद को तैयार कर सकें और धोखा न उठाएं.
4. आचार्य का मानना था कि इंसान को हमेशा सच का सहारा लेना चाहिए. झूठ बोलने वाला व्यक्ति अपने ही झूठ में फंसता जाता है. एक झूठ को छिपाने के लिए उसे कई झूठ बोलने पड़ते हैं. ऐसे में वो एक दिन मुसीबत में जरूर फंसता है.
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