धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति: हर व्यक्ति के पास ये गुप्त धन होता है, बांटने से भी नहीं होता कम

Bhumika Sahu
6 Jan 2022 1:31 AM GMT
चाणक्य नीति: हर व्यक्ति के पास ये गुप्त धन होता है, बांटने से भी नहीं होता कम
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आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़ी कई नीतियों का वर्णन किया है। आचार्य चाणक्य की नीतियां भले ही लोगों को सही न लगे लेकिन उनके द्वारा बताई गई बातें सच्ची लगती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़ी कई नीतियों का वर्णन किया है। आचार्य चाणक्य की नीतियां भले ही लोगों को सही न लगे लेकिन उनके द्वारा बताई गई बातें सच्ची लगती है। आचार्य चाणक्य को महान अर्थशास्त्री, राजनीतिकार व शिक्षा विद् माना जाता है। कहते हैं कि चाणक्य जी को सभी विषयों का ज्ञान था। यही कारण है कि उन्होंने एक साधारण से बालक चंद्र गुप्त को अपनी नीतियों के बल पर मौर्य वंश का सम्राट बना दिया था। आचार्य चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि आखिर सबके पास ऐसा कौन-सा गुप्त धन होता है, जो बांटने से भी कम नहीं होता है।

श्लोक
कामधेनुगुना विद्या ह्यकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥
अर्थ-
इस श्लोक का अर्थ है कि विद्या अर्जित करना एक कामधेनु के समान है जो हमेशा फल देती है। यह एक मां जैसी होती है, जो हर मोड़ पर आपकी रक्षा करती है। इसलिए विद्या को गुप्त धन कहा जाता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि विद्या एक ऐसा धन है जो कितना भी बांट लो, लेकिन कभी खत्म नहीं होता है। जिस तरह से कामधुने गाय कभी दूध देना बंद नहीं करती है, ठीक उसी तरह से विद्या भी जितना ज्यादा खर्च करेंगे, उतनी ही ज्यादा बढ़ेगी। जिस से मां बच्चे की हर मोड़ पर रक्षा करती है। उसी तरह से जिस व्यक्ति के पास विद्या का भंडार होता है, वह परिवार और खुद की हर परेशानी को दूर कर लेता है।


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