धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति : हर माता-पिता बच्चों की पर​वरिश करते समय ध्यान रखे ये 5 बातें

Renuka Sahu
22 Oct 2021 1:22 AM GMT
चाणक्य नीति : हर माता-पिता बच्चों की पर​वरिश करते समय ध्यान रखे ये 5 बातें
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फाइल फोटो 

आचार्य का मानना था कि बच्चों की पहली शिक्षा उनके माता-पिता से शुरू होती है जो उन्हें संस्कार के रूप में प्राप्त होती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बच्चे के सामने भाषा और वाणी के संयम का पूरा खयाल रखें. उनके समक्ष उच्च आचरण की मिसाल प्रस्तुत करें. ध्यान रखें कि आप जैसा व्यवहार और आचरण प्रस्तुत करेंगे, आपके बच्चे उसी का अनुसरण करेंगे

आचार्य चाणक्य का मानना था कि पांच वर्ष तक की उम्र तक बच्चे को खूब दुलार देना चाहिए. इस उम्र तक बच्चा अबोध होता है और बहुत जिज्ञासु होता है. वो हर चीज को सूक्ष्म तरीके से देखता है और उसके बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है. इस उम्र में वो जो भी शरारत करता है, वो जानबूझकर नहीं होती. इसलिए उसकी शरारत को गलती की संज्ञा नहीं दी जा सकती.
पांच साल के बाद वो अच्छे और बुरे का फर्क समझने लगता है. ऐसे में जरूरत पड़ने पर उसे डांटा जा सकता है.
10 साल से लेकर 15 साल के बीच की आयु में वो हठ करना सीख जाता है और कई गलत कार्य करने की जिद भी कर सकता है. इस अवस्था में बच्चे के साथ सख्त व्यवहार कर सकते हैं.
16 साल की उम्र होते ही बच्चे को डांटना और मारना बंद कर देना चाहिए और उसका दोस्त बनना चाहिए. यदि वो किसी तरह की गलती करे तो उसे दोस्त की तरह समझाकर अहसास कराना चाहिए.


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