धर्म-अध्यात्म

चाणक्य नीति : जीवन में इन कामों में भूल कर भी न करें संकोच, होता है नुकसान

Renuka Sahu
23 Nov 2021 3:05 AM GMT
चाणक्य नीति : जीवन में इन कामों में भूल कर भी न करें संकोच, होता है नुकसान
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फाइल फोटो 

आचार्य चाणक्य को मौर्य वंश का संस्थापक कहा जाता है. ये आचार्य की बुद्धि कौशल का ही नतीजा था कि उन्होंने पूरे नंदवंश का नाश करके एक साधारण से बालक को राजगद्दी पर बैठा दिया था.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य को मौर्य वंश का संस्थापक कहा जाता है. ये आचार्य की बुद्धि कौशल का ही नतीजा था कि उन्होंने पूरे नंदवंश का नाश करके एक साधारण से बालक को राजगद्दी पर बैठा दिया था. आचार्य ने स्वयं अपने जीवन में बहुत कठिन परिस्थितियां झेलीं, लेकिन उनको कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया. वे हर स्थिति से कुछ न कुछ सीखते थे और उसे अवसर में बदलने का प्रयास करते थे.

उनके इस स्वभाव और तीक्ष्ण बुद्धि ने उन्हें महान कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री बना दिया. आचार्य ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा हासिल करने के बाद वहां काफी समय तक अध्यापन कार्य किया और तमाम शिष्यों का भविष्य संवारा. उसी दौरान उन्होंने तमाम रचनाएं भी कीं. ​उन रचनाओं में से चाणक्य नीति आज भी काफी लोकप्रिय है. चाणक्य नीति में लिखी बातों से आज के समय में भी काफी कुछ सीखा जा सकता है. आचार्य ने चाणक्य नीति में तीन कामों के बारे में बताते हुए कहा है कि इन कामों में जिस व्यक्ति ने शर्म की, उसे जीवन में बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है.
उधार दिया धन मांगने में शर्म न करें
आचार्य चाणक्य का कहना था कि यदि आपने किसी को धन उधार दिया है, तो उसे मांगने में कभी कोई शर्म न करें. न ही कोई रिश्ता बीच में आने दें क्योंकि अगर आपने धन के मामले में शर्म की तो आपको ही उसका नुकसान भुगतना पड़ेगा. याद रखिए आप अपना दिया हुआ धन ही मांग रहे हैं, किसी और का नहीं, फिर शर्म और झिझक कैसी !
भरपेट भोजन करने में शर्म न करें
कहा जाता है कि खाना हमेशा भरपेट खाना चाहिए. लेकिन कुछ लोग जब किसी रिश्तेदार या दोस्त के घर जाते हैं तो संकोचवश ठीक से खाना नहीं खा पाते और आधे पेट ही उठ जाते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. अगर खाना खाने बैठे हैं तो पेट भर कर खाइए, इसमें शर्म कभी नहीं करनी चाहिए.
गुरू से ज्ञान लेने में कोई संकोच न करें
यदि गुरू से ज्ञान ले रहे हैं तो कभी शर्म मत कीजिए हमेशा जिज्ञासु बने रहिए क्योंकि ज्ञान जितना लिया जाए वो कम ही होता है. कुछ लोग गुरू से अपनी जिज्ञासा को जाहिर करने में शर्म महसूस करते हैं, लेकिन ऐसा करके आप अपना ही नुकसान कर लेते हैं और भविष्य में आपको उसकी वजह से परेशानी झेलनी पड़ती है. इसलिए जितना संभव हो सवाल पूछकर, उसके उत्तर जानने का प्रयास करें और अपनी जिज्ञासा को शांत करें.
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