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धर्म-अध्यात्म
Chanakya Niti: आज ही बदल दें ये 3 आदतें, नहीं तो हो जाएंगे कंगाल
Renuka Sahu
17 Sep 2021 1:51 AM GMT
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फाइल फोटो
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो मेहनत करते हैं और उसका फल भी मिलता है, लेकिन वो फिर भी खाली हाथ रह जाते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो मेहनत करते हैं और उसका फल भी मिलता है, लेकिन वो फिर भी खाली हाथ रह जाते हैं. इन सब के पीछे उनकी गलत आदतें जिम्मेदार होती हैं. आदतों की बदौलत ही व्यक्ति बनता है और सब बिगाड़ लेता है.
आचार्य ने भी धन को लेकर ऐसी ही बात कही है. आचार्य ने जीवन में धन को काफी उपयोगी माना है, लेकिन अगर व्यक्ति धन की कद्र न करे, तो धन उसके पास नहीं टिकता. ऐसे में अमीर आदमी को भी कंगाल होते देर नहीं लगती. जानिए धन को लेकर क्या कहती है चाणक्य नीति.
इंसान को गरीब बना देती हैं ये आदतें
धन को फिजूल में खर्च करना
आचार्य का मानना था कि धन को हमेशा बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए. इसका सबसे अच्छा तरीका निवेश है. लेकिन कुछ लोगों को धन की कद्र नहीं होती और वे धन को पानी की तरह बहाते हैं. जरूरत न होने पर भी धन को फिजूल में खर्च करते हैं. उनसे लक्ष्मी हर हाल में रूठती हैं और ऐसे लोगों के पास धन बहुत लंबे समय तक नहीं टिक पाता. ऐसे लोगों को अर्श से फर्श पर आते देर नहीं लगती.
धन का गलत इस्तेमाल
परिवार का भरण पोषण करने के अलावा धन का इस्तेमाल हमेशा अच्छे कार्यों में करना चाहिए. इसलिए दान पुण्य जरूर करें. ऐसे लोगों को का पूरा परिवार हमेशा फलता फूलता है. लेकिन जो लोग धन को गलत कार्यों में लगाते हैं या धन के बूते पर दूसरों का अहित करते हैं, उनके पास चाहे कितना ही धन हो, एक न एक दिन वो निश्चित रूप से बर्बाद हो जाता है. ऐसे लोगों को जीवन में आर्थिक तंगी जरूर झेलनी पड़ती है.
धन की बचत न करने वाले
कुछ लोगों की आदत होती है कि उनकी जितनी आमदनी होती है, उतना ही खर्च भी होता है. ऐसे लोगों के हाथ में कुछ भी नहीं बचता. आचार्य चाणक्य की नीति कहती है कि आमदनी को कमाने से ज्यादा कठिन उसे खर्च करना है. इसलिए ये काम पूरी योजना बनाकर करना चाहिए. अपनी जरूरतों में कटौती करके धन को बचाना जरूर चाहिए क्योंकि बचा हुए धन ही बुरे वक्त में साथ निभाता है. इसलिए जितनी चादर हो, उतने ही पैर पसारो. मतलब अपनी आमदनी के हिसाब से खर्च करो. जो लोग आमदनी से ज्यादा खर्च करते हैं, उन्हें कंगाल बनते देर नहीं लगती.
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