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धर्म-अध्यात्म
चैत्र नवरात्र इस बार पूरे 9 दिनों, की जानें किस दिन कौन सी तिथि
Teja
29 March 2022 8:59 AM GMT

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चैत्र नवरात्रि में अब महज चंद दिन बचे हैं। ऐसे में मां अम्बे के भक्त इसकी तैयारी में जुटे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चैत्र नवरात्रि में अब महज चंद दिन बचे हैं। ऐसे में मां अम्बे के भक्त इसकी तैयारी में जुटे हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022 को शनिवार के दिन से शुरू हो रहे हैं जो 11 अप्रैल 2022 को सोमवार के दिन समाप्त होंगे। वहीं 10 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी।
नवरात्रि के दौरान भक्त माता दुर्गा के 9 रूपों की खास पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन चैत्र प्रतिपदा जो कि हिन्दु कैलेण्डर का पहला दिन होता है घटस्थापना की जाती है। यानी हिंदू कैलेंडर के पहले दिन से भक्त अगले नौ दिनों तक माता की पूजा कर नए साल की शुरुआत करते हैं। भगवान राम का जन्मदिवस चैत्र नवरात्रि के अन्तिम दिन पड़ता है।
इस साल चैत्र घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल 2022, शनिवार की सुबह 06:22 बजे से 08:31 मिनट तक रहेगा। यानी कि कुल अवधि 02 घण्टे 09 मिनट की रहेगी। इसके अलावा घटस्थापना को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक रहेगा। वहीं प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल 2022 को सुबह 11:53 बजे से शुरू होगी और 2 अप्रैल 2022 को सुबह 11:58 पर खत्म होगी।
नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इन नौ दिनों तक मातारानी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं और उनके दुखों को हर लेती हैं।
किस दिन होगी मां दुर्गा के किस स्वरूप की पूजा ?
2 अप्रैल (पहला दिन)- मां शैलपुत्री की पूजा
3 अप्रैल (दूसरा दिन)- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
4 अप्रैल (तीसरा दिन)- मां चंद्रघंटा की पूजा
5 अप्रैल (चौथा दिन)- मां कुष्मांडा की पूजा
6 अप्रैल (पांचवां दिन)- मां स्कंदमाता की पूजा
7 अप्रैल (छठवां दिन)- मां कात्यायनी की पूजा
8 अप्रैल (सातवां दिन)- मां कालरात्रि की पूजा
9 अप्रैल (आठवां दिन)- मां महागौरी की पूजा
10 अप्रैल (नौवां दिन)- मां सिद्धिदात्री की पूजा
11 अप्रैल (दसवां दिन): नवरात्रि पारणा
चैत्र नवरात्रि पारण तब किया जाता है जब नवमी तिथि समाप्त हो जाती है और दशमी तिथि प्रबल होती है।
चैत्र नवरात्रि पारण सोमवार, अप्रैल 11, 2022 को
चैत्र नवरात्रि पारण समय - 06:00 सुबह के बाद
नवमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 10, 2022 को 01:23 बजे
नवमी तिथि समाप्त - अप्रैल 11, 2022 को 03:15 बजे
मां शैलपुत्री
मां नव दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री देवी का है। नवरात्रि के प्रथम दिन इनकी पूजा की जाती है। हिमालयराज की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। ये माता पार्वती का ही एक रूप हैं।
मां ब्रह्चारिणी
ब्रह्मचारिणी देवी मां नव दुर्गा का दूसरा रूप है। मां पार्वती ने घोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। इसी कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। इनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है।
मां चंद्रघंटा
यह मां नव दुर्गा का तीसरा रूप है और इनकी पूजा तीसरे दिन की जाती है। चूंकि ये भगवान शंकर के मस्तक पर अद्धचंद्र घण्टे के रूप में सुशोभित है। इसी लिए इन्हें चंद्रघण्टा के नाम से जाना जाता है।
मां कूष्मांडा
नव दुर्गा के चौथे रूप को कुष्मांड़ा देवी कहा जाता है। इनकी पूजा नवरात्रि में चौथे दिन विधि-पूर्वक की जाती है। ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था इस लिए इन्हें कूष्मांडा माता कहते हैं। इन्हें जगत जननी भी कहा जाता है।
मां स्कंदमाता
नव देवी दुर्गा के 5वें रूप को स्कंदमाता कहते हैं। इन्होंने भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय या स्कंद को जन्म दिया था जिसके कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इनकी पूजा पांचवें दिन होती है।
मां कात्यायनी
यह मां दुर्गा का छठा रूप है। कात्यायनी देवी की पूजा नवरात्रि के 6 वें दिन की जाती है। इनका जन्म कात्यायन ऋषि की साधना और तप से होने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा गया।
मां कालरात्रि
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। कालरात्रि का रूप माता दुर्गा ने दैत्यों के नाश करने और भक्तों को अभय देने के लिए धारणकिया था।
मां महागौरी
मां दुर्गा का आठवां रूप महागौरी का है।मान्यता है कि अति कठोर तप के कारण इनका वर्ण कला पड़ गया। तब भगवान शिव जी ने गंगा जल छिड़क कर इन्हें पुनः गौर वर्ण प्रदान किया। इसी कारण इन्हें महागौरी का नाम दिया गया।
मां सिद्धिदात्री
दुर्गा माता का यह नवां रूप है। सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है। इसलिए ही इनका नामा सिद्धिदात्री देवी पड़ा। इनके पूजन कर भक्त सभी प्रकार के सुख, धन वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति करता है।
मान्यता है कि इन दिनों में मां की भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना करने से वे अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इतना ही नहीं, ये नौ दिन सभी भक्तिमय रंग में रंग जाते हैं। मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखे जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इन नौ दिनों तक मातारानी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं और उनके दुखों को हर लेती हैं।
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