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धर्म-अध्यात्म
कल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
Teja
1 April 2022 9:32 AM GMT

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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शनिवार यानी कल से चैत्र नवरात्र की शरुआत होने जा रही है। कल चैत्र नवरात्र का पहला दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल भर में कुल मिलाकर 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि का त्योहार 2 अप्रैल से शुरु होकर 11 अप्रैल तक रहेगी। मां दुर्गा के भक्त चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक उपवास रखते हुए पूजा और साधना करते हैं।
चैत्र नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है। चैत्र प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना की जाती है और अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी माता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक नवरात्रि पर मां दुर्गा पृथ्वी पर अलग-अलग वाहनों से आती हैं जिसका विशेष महत्व होता है। दिन के अनुसार मां दुर्गा का वाहन तय होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि शनिवार से शुरू हो रहे हैं ऐसे देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी।
चैत्र घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
इस बार चैत्र घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल 2022, शनिवार की सुबह 06:22 बजे से 08:31 मिनट तक रहेगा। यानी कि कुल अवधि 02 घण्टे 09 मिनट की रहेगी। इसके अलावा घटस्थापना को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक रहेगा। वहीं प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल 2022 को सुबह 11:53 बजे से शुरू होगी और 2 अप्रैल 2022 को सुबह 11:58 पर खत्म होगी।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ : अप्रैल 01, 2022 को सुबह 11 बजकर 54 से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त : अप्रैल 02, 2022 को सुबह 11 बजकर 57 पर समाप्त
चैत्र घटस्थापना शनिवार, अप्रैल 2, 2022 को
घटस्थापना शुभ मुहूर्त: सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक
घटस्थापना का अभजीत मुहूर्त: दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक रहेगा।
घटस्थापना विधि
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनें। फिर मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें। इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें और इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।
इसके बाद एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें और इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आहवाहन करें। फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें। ध्यान रखें कि कलश स्टील सा किसी अन्य अशुद्ध धातु का नहीं होना चाहिए। कलश के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल के धातु के अलावा मिट्टी का घड़ा काफी शुभ माना गया है।
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