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धर्म-अध्यात्म
आज से चैत्र नवरात्रि शुरू, जानिए इसका शुभ मुहूर्त और महत्व
Triveni
13 April 2021 1:06 AM GMT
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आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के दौरान मां के वाहन को लेकर चर्चा होती हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के दौरान मां के वाहन को लेकर चर्चा होती हैं। देवीभाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। अगर नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। वहीं, अगर गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं। इसके अलावा बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्रि का आरंभ मंगलवार को हो रहा है। इस बार मां दुर्गा का आगमन अश्व यानि घोड़े पर होगा। इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है। इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की आराधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें।
यह होगा असर:
शास्त्रों में आगे कहा गया है कि जिस वर्ष दुर्गा माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं उस वर्ष जनता बहुत व्याकुल होती है। युद्ध और उपद्रव की आशंका पूरे वर्ष बनी रहती है। गर्मी बहुत पड़ती है। कहीं-कहीं क्षेत्र भंग भी हो जाता है अर्थात किसी देश अथवा प्रदेश की सरकार गिरने का डर होता है। अंतिम नवरात्रि श्री राम नवमी को होगी। उस दिन बुधवार है। इसके बारे में भी शास्त्रों के वचन हैं कि यदि नवरात्रि की समाप्ति बुधवार को हो तो दुर्गा हाथी पर सवार होकर जाती हैं। हाथी पर जब माता जाती हैं उस वर्ष वर्षा अधिक होती है। धन्य-धान्य खूब होता है। जनता सुखी होती है, किंतु अराजक तत्व देश एवं धर्म को हानि पहुंचाने के प्रयास करते रहते हैं। हाथी पर जाने का तात्पर्य यह भी है कि देश के सत्तारूढ़ सरकार और दृढ़ होगी। जैसे हाथी मस्त होकर चलता है उसी प्रकार राजा भी निर्भय होकर शासन चलाता है।
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