धर्म-अध्यात्म

इस दिन से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि...जानें कलश स्थापना की विधि

Subhi
22 Feb 2021 2:17 AM GMT
इस दिन से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि...जानें कलश स्थापना की विधि
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हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व साल में चार बार मनाया जाता है. चैत्र और शारदीय नवरात्र के साथ दो और नवरात्रि भी होती हैं,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व साल में चार बार मनाया जाता है. चैत्र और शारदीय नवरात्र के साथ दो और नवरात्रि भी होती हैं, जिन्हें माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि कहा जाता है. नवरात्रि में माता दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. माघ नवरात्रि समाप्त होने वाली है और अब चैत्र नवरात्रि का आगमन होने वाला है. नवरात्रि का ये पर्व कई मायनों में खास माना जाता है. इसकी मान्यता धार्मिक रूप से बहुत ही ज्यादा है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 2021 में चैत्र नवरात्र का शुभारंभ 13 अप्रैल से हो रहा है और इसका समापन 22 अप्रैल को होगा.

इस दिन होगी कलश स्थापना
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी 13 अप्रैल को कलश स्थापना की जाएगी. नवरात्रि में कलश स्थापना का खास महत्व है. विधिपूर्वक कलश स्थापना करने से इसका आपको पूर्ण लाभ मिलता है.
महानिशा पूजा
नवरात्र में महानिशा पूजा सप्तमी युक्त अष्टमी या मध्य रात्रि में निशीथ व्यापिनी अष्टमी में की जाती है. इस साल चैत्र नवरात्रि में महानिशा पूजा 20 अप्रैल को की जाएगी.
नवरात्र पूजा विधि
चैत्र नवरात्र की प्रतिप्रदा तिथि को प्रात: काल स्नान करने के बाद आगमन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत-पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य-तांबूल, नमस्कार-पुष्पांजलि और प्रार्थना आदि उपायों से पूजन करना चाहिए. देवी के स्थान को सुसज्जित कर गणपति और मातृका पूजन कर घट स्थापना करें. लकड़ी के पटरे पर पानी में गेरू घोलकर नौ देवियों की आकृति बनाएं या सिंह दुर्गा का चित्र या प्रतिमा पटरे या इसके पास रखें. पीली मिट्टी की एक डली और एक कलावा लपेट कर उसे गणेश स्वरूप में कलश पर विराजमान कराएं. घट के पास गेहूं या जौ का पात्र रखकर वरुण पूजन करें और भगवती का आह्वान करें.
गुप्त नवरात्रि हुआ समाप्त
21 फरवरी को रविवार माघ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी. इसी दिन गुप्त नवरात्रि का समापन किया गया है. तंत्र-मंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि को उत्तम माना गया है. गुप्त नवरात्रि में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भारवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा की जाती है. इस दौरान सच्चे मन, भक्ति भाव और विधि विधान से जो व्यक्ति माता की पूजा करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.


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