धर्म-अध्यात्म

13 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्रि, जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और व्रत

Apurva Srivastav
2 April 2021 7:17 AM GMT
13 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्रि, जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और व्रत
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हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र का महीना शुरू हो चुका है. इसी महीने में मां दुर्गा की विशेष उपासना के दिन चैत्र नवरात्रि भी आते हैं

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र का महीना शुरू हो चुका है. इसी महीने में मां दुर्गा की विशेष उपासना के दिन चैत्र नवरात्रि भी आते हैं. धार्मिक दृष्टि से नवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के तमाम संकट दूर होते हैं और मनोकामना पूरी होती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं और 21 अप्रैल को समाप्त होंगे. नवरात्रि के दिनों को बेहद शुभ दिन माना जाता है. इस दौरान तमाम शुभ काम करने का चलन है.

नवरात्रि पर माता के भक्त घर पर घट स्थापना करके नौ दिनों तक माता का विधि-विधान से पूजन करते हैं. अखंड दीपक जलाते हैं और ज्वारे बोते हैं. इस बार नवरात्रि के पहले दिन दो विशेष योग बनने जा रहे हैं. प्रतिपदा की तिथि में दोपहर 03 बजकर 16 मिनट विष्कुम्भ योग रहेगा, इसके बाद प्रीति योग शुरू होगा. इस लिहाज से नवरात्रि और भी ज्यादा शुभ है. यहां जानिए नवरात्रि से जुड़ी खास बातें.
घट स्थापना का मुहूर्त और विधि
हिंदू पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल के दिन घट स्थापना होगी. शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. घट स्थापना के लिए सबसे पहले मां दुर्गा के सामने उनके नाम की अखंड ज्योत जलाएं. इसके बाद मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालें और उसमें जौ के बीच डालें. अब एक मिट्टी के कलश या घर के लोटे को अच्छे से साफ करके उस पर कलावा बांधें और स्वास्तिक बनाएं. इसके बाद कलश में गंगाजल और थोड़ा सामान्य जल डालकर भरें. जल में दक्षिणा, अक्षत, साबुत सुपारी और दूब डालें. इसके बाद कलश के मुख पर आम या अशोक 5 या 7 पत्ते लगाएं और कलश को ढक्कन से बंद कर दें. इस ढक्कन पर अनाज भरें और जटा वाले नारियल को लाल रंग के कपड़े से लपेट कर इसके ऊपर रखें. कलश को जौ वाले पात्र के बीच में रखें और सभी देवी-देवता का
आह्वान करके कलश पूजन करें.
नवरात्रि के व्रत का महत्व
नवरात्रि का व्रत सिर्फ धार्मिक लिहाज से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी काफी लाभकारी है. नौ दिनों के दौरान भक्त मां का व्रत श्रद्धानुसार करते हैं. इस दौरान किसी का अहित, किसी की निंदा या गलत कार्यों को करने से बचते हैं. ऐसे में देखा जाए तो धार्मिक रूप से ये व्रत व्यक्ति के तन, मन और उसकी आत्मा की शुद्धि करता है. वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो नवरात्रि के दौरान ऋतु परिवर्तन होता है. इस मौसम में संक्रामक रोग फैलते हैं. गलत खानपान से लोगों के बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में नवरात्रि का व्रत उनके खानपान को संतुलित करता है. व्रत के दौरान सात्विक आहार लेने और फल वगैरह का सेवन करने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.


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