धर्म-अध्यात्म

Chaitra Navratri 2022 : माता के नौ रूपों के नामों का जानें हर नाम के पीछे का असली तथ्य

Deepa Sahu
2 April 2022 5:44 PM GMT
Chaitra Navratri 2022 :  माता के नौ रूपों के नामों का जानें हर नाम के पीछे का असली तथ्य
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आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है.

Chaitra Navratri 2022, Mata Ke Naam Ka Asli Aadhar: आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है. आज नवरात्रि का प्रथम दिवस है. आज के दिन माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप- माता शैपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है. ये तो सभी जानते हैं कि माता रानी के नौ रूप हैं और नवरात्रि के नौ दिन इन्हीं नौ रूपों को ध्याया जाएगा. माता के ये नौ रूप शक्ति का प्रतीक माने गए हैं. माता के हर रूप का एक अलग नाम है और हर नाम के पीछे एक कथा है. लेकिन आज हम आपको माता रानी के नौ रूपों के नामों का असली आधार बताने जा रहे हैं जो अब तक की सुनी सुनाई कथाओं के बिलकुल विपरीत है.

पहला दिन माता शैलपुत्री का माना गया है. शैलपुत्री माता सती को कहा जाता है, जो माता का पहला अवतार था. सती राजा द‍क्ष की कन्या थीं. राजा दक्ष द्वारा महादेव के अपमान के कारण माता सती ने यज्ञ की आग में कूदकर खुद को भस्म कर लिया था.

ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि माता ने कठिन तप किया था, इस तप के बाद ही महादेव को पति के रूप में प्राप्त किया था. इस कारण उनका दूसरा नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा.

चंद्रघंटा
माता का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा के नाम से प्रसिद्ध है. जिनके मस्तक पर चंद्र के आकार का तिलक हो, वो माता चंद्रघंटा कहलाती हैं.

कूष्मांडा
चौथा दिन माता कूष्मांडा को समर्पित माना गया है. जिनमें ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति व्याप्त हो, जो उदर से अंड तक माता अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, उस शक्ति को कूष्मांडा कहा गया है. माता शक्ति स्वरूपा हैं, इसलिए उनका एक नाम कूष्‍मांडा है.

स्कंदमाता
कार्तिकेय माता के पुत्र हैं, जिन्हें स्कंद के नाम से भी जाना जाता है. जो स्कंद की माता हैं, वो स्कंदमाता कहलाती हैं. नवरात्रि के पांचवे माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है.

कात्यायिनी
छठवें दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो महिषासुर मर्दिनी हैं. माता ने महर्षि कात्यायन के कठिन तप से प्रसन्न होकर उनके घर में उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए वे माता कात्यायनी के नाम से भी जानी जाती हैं.

कालरात्रि
माता का सातवां स्वरूप कालरा​त्रि है. जिसमें काल यानी मृत्यु तुल्य संकटों को भी हरने की शक्ति व्याप्त हो, उन्हें माता का​लरात्रि कहा जाता है. माता के इस रूप के पूजन से संकटों का नाश होता है.

महागौरी
शिव को पाने के लिए जब माता पार्वती ने कठिन तप किया तो तप के प्रभाव से उनका रंग काला पड़ गया. तपस्या से प्रसन्न होने के बाद महादेव ने गंगा के पवित्र जल से उनके शरीर को धोया और उनका शरीर विद्युत प्रभा के समान कांतिमान-गौर हो उठा. इस कारण माता का नाम महागौरी पड़ा. नवरात्रि के आठवें दिन माता के इस रूप की पूजा की जाती है.

सिद्धिदात्री
​माता का वो रूप जो हर प्रकार की सिद्धि से संपन्न है, उसे सिद्धिदा​त्री कहा जाता है. माता के इस रूप का पूजन करने से सिद्धियों की प्राप्ति की जा सकती है.


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