धर्म-अध्यात्म

फाल्गुन खत्म होने के बाद शुरू हुआ चैत्र मास.....जानिए हिंदू धर्म के लिए क्यों खास है ये महीना

Bhumika Sahu
20 March 2022 4:50 AM GMT
फाल्गुन खत्म होने के बाद शुरू हुआ चैत्र मास.....जानिए हिंदू धर्म के लिए क्यों खास है ये महीना
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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का शुभारम्भ होता है. चैत्र मास के साथ हिन्दू नववर्ष के शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता है. मान्यता है कि भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी, ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाश की ओर बढ़े.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। होली (Holi) के तुरंत बाद चैत्र मास की शुरुआत हो जाती है. चैत्र मास, हिन्दू कैलेंडर (Hindu Calender) का पहला महीना है. चित्रा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम चैत्र पड़ा (चित्रानक्षत्रयुक्ता पौर्णमासी यत्र सः). इस साल चैत्र मास 19 मार्च से 16 अप्रैल तक (निर्णय सागर पञ्चाङ्ग के अनुसार) चलेगा. चैत्र मास को मधु मास के नाम से भी जाना जाता है. इस मास में बसंत ऋतु (Spring Season) का यौवन पृथ्वी पर देखने को मिलता है. चैत्र में रोहिणी और अश्विनी शून्य नक्षत्र हैं, इनमें कार्य करने से धन का नाश होता है. महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार जो नियम पूर्वक रहकर चैत्र मास को एक समय भोजन करके बिताता है, वह सुवर्ण, मणि और मोतियों से सम्पन्न महान कुल में जन्म लेता है.

चैत्र मास में नीम के सेवन का महत्व
चैत्र में गुड़ खाना मना बताया गया है. चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है, मलेरिया नहीं होता है. शिवपुराण के अनुसार चैत्र में गौ का दान करने से कायिक, वाचिक तथा मानसिक पापों का निवारण होता है. इसके अलावा देव प्रतिष्ठा के लिए भी चैत्र मास को काफी शुभ माना गया है.
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का शुभारम्भ होता है. चैत्र मास के साथ हिन्दू नववर्ष के शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता है. मान्यता है कि भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी, ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाश की ओर बढ़े. नारद पुराण में भी कहा गया है की चैत्रमास के शुक्ल पक्ष में प्रथमदिं सूर्योदय काल में ब्रह्माजी ने सम्पूर्ण जगत की सृष्टि की थी.
इसलिए खास है चैत्र का महीना
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र में विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. चैत्र शुक्ल तृतीया तथा चैत्र पूर्णिमा मन्वादि तिथियां हैं. इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. भविष्यपुराण में चैत्र शुक्ल से विशेष सरस्वती व्रत का विधान वर्णित है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र मनाए जाते हैं, जिसमें व्रत रखने के साथ मां जगतजननी की पूजा का विशेष विधान है. चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है. युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से माना जाता है. मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को हुआ था.
युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को माना जाता है. उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को किया गया था. चैत्र मास में ऋतु परिवर्तन होता है और हमारे आयुर्वेदाचार्यों ने इस मास को स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना है. नीम के कोमल पत्ते, पुष्प, काली मिर्च, नमक, हींग, जीरा मिश्री और अजवाइन मिलाकर चूर्ण बनाकर चैत्र में सेवन करने से संपूर्ण वर्ष रोग से मुक्त रहते हैं.


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