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नहाए-खाय के साथ शुरू हुई चैती छठ पूजा, जानें खरना की सही तारीख और अर्घ्य का मुहूर्त
आज नहाय खाय के साथ चैती छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार छठ का महापर्व मनाया जाता है। कार्तिक मास यानी अक्टूबर-नवंबर में पड़ने वाली छठ का अधिक महत्व है। इसके अलावा दूसरी छठ चैत्र मास में पड़ती है। इस पर्व में भी सूर्य की उपासना करना शुभ माना जाता है। यह पर्व आज से शुरू होकर 8 अप्रैल को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। जानिए चैती छठ की पूजा विधि, समय और तिथियां।
मान्यता है कि चैती छठ रखने से सूर्य की बहन छठी मैया प्रसन्न होती है और यह परिवार में सुख-शांति और धन-धान्य बढ़ाने में मदद करता है। कार्तिक मास की छठ के आधार में चैती छठ को काफी कम लोग जानते हैं। इस दिन लोग कृत्रिम तालाब में ही अर्घ्य करके सूर्य की उपासना करते हैं।
चैती छठ में अर्घ्य देने का समय
7 अप्रैल को सूर्यास्त शाम बजकर 30 मिनट में होगा और 8 अप्रैल को सूर्योदय सुबह 6 बजकर 40 मिनट में होगा।
जानिए चैती छठ की तिथियां
5 अप्रैल, मंगलवार- नहाय खाय
6 अप्रैल बुधवार- खरना
7 अप्रैल गुरुवार- डूबते सूर्य को अर्घ्य
8 अप्रैल शुक्रवार- उगते सूर्य का अर्घ्य
नहाय-खाय के साथ शुरू होगा चैती छठ पर्व
चैत्र मास की चतुर्थी तिथि के साथ चैती छठ का मनाया जाएगा। आज नहाय-खाय के साथ पर्व की शुरुआत होगी। इसके साथ ही 6 अप्रैल को खरना होगा जिसमें रोटी और खीर का भोग लगेगा। इसके साथ ही 7 अप्रैल को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 8 अप्रैल को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह पर्व समाप्त होगा।
चैती छठ में नहाय.-खाय के दिन घर को पूरी तरह से पवित्र करके व्रती अगले दिन की तैयारियां शुरू कर देते हैं। खरना के दिन व्रती सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करते हैं। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद आदि बनाया जाता है। वहीं शाम की पूजा के लिए पीतल या फिर मिट्टी के बर्तन में गुड़ की खीर बनाना शुभ माना जाता है। इसे सिर्फ गोबर के उपले या फिर आम की लकड़ी में ही बनाया जाता है। इसके बाद रात को केले के पत्ते में इस प्रसाद को रखकर सूर्य के साथ-साथ चंद्रमा को भोग लगाया जाता है।