धर्म-अध्यात्म

इन मंत्रों से सावन में मनाएं महादेव को, शिव की कृपा से बनेंगे सभी अधूरे काम

Tara Tandi
10 July 2021 2:17 PM GMT
इन मंत्रों से सावन में मनाएं महादेव को, शिव की कृपा से बनेंगे सभी अधूरे काम
x
श्रावण के महीने में भगवान शिव की साधना अत्यंत शुभ एवं शीघ्र फलदायी होती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | श्रावण के महीने में भगवान शिव की साधना अत्यंत शुभ एवं शीघ्र फलदायी होती है। देवों के देव कहलाने वाले महादेव यानि भगवान शिव की साधना सबसे सरल मानी गई है। भगवान भोलेनाथ के विभिन्न रूपों की तरह इनके विभिन्न नाम भी निराले हैं। हर हाल में खुश रहने वाले भगवान शिव अपने भक्तों से भी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव की कृपा से उनके भक्तों को कभी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है।

सही मायने में सारी सृष्टि भगवान शिव में समाई हुई है। मंदिरों में भगवान शिव की सबसे अधिक पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। ऐसे में श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करके अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है। शिवलिंग भगवान शिव की सृजनात्मक शक्ति का परिचायक है।
भगवान शिव के चार प्रमुख आयुध हैं। जिनमें त्रिशूल, डमरू, मृग और परशु है। इसमें त्रिशूल त्रिगुण का प्रतीक है। डमरू ब्रह्म का प्रतीक है। भगवान शिव का नाम मृगधर है। मृगवेद है जिसे वे कभी अपने हाथ से अलग नहीं करते हैं। हमेशा इनकी रक्षा में तत्पर रहते हैं। आइए जानते हैं भगवान शिव की साधना से जुड़े कुछ दिव्य मंत्र जिनका जाप करने से औढरदानी कहलाने वाले भगवान शिव अपने भक्तों पर शीघ्र ही कृपा बरसाते हैं।
सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए
परिवार की सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए पवित्र श्रावण मास में शिव साधक को शिव ऐश्वर्य लक्ष्मी यंत्र स्थापित करके नीचे दिए गए मंत्र का 101 बार पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ जप करना चाहिए।
।। ॐ साम्ब सदाशिवाय नम:।।
मुकदमे में विजय पाने के लिए
कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामले में विजय के लिए नीचे दिये गये भगवान शिव के मंत्र को 36 बार जपें।
।। ॐ क्रीं नम: शिवाय क्रीं ॐ।।
स्वास्थ्य लाभ और अच्छी सेहत के लिए
यदि आप भगवान भोलेनाथ से अच्छी सेहत का आशीर्वाद पाना चाहते हैं या फिर किसी बीमार व्यक्ति की सेहत में सुधार की कामना रखते हैं तो आपको भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का पूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाप करना चाहिए।
।।ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


Tara Tandi

Tara Tandi

    Next Story