धर्म-अध्यात्म

क्या कुंवारी लड़कियां भी रख कर सकती हैं कजरी तीज का व्रत? कैसे करें पूजा

SANTOSI TANDI
1 Sep 2023 12:15 PM GMT
क्या कुंवारी लड़कियां भी रख कर सकती हैं कजरी तीज का व्रत? कैसे करें पूजा
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कैसे करें पूजा
हिंदू धर्म में तीज का काफी महत्व है. वैसे तो हर साल तीज का त्योहार तीन बार मनाया जाता है जिनमें कजरी तीज, हरतालिका तीज और हरियाली तीज शामिल है. लेकिन इनमें कजरी तीज के व्रत का खास महत्व है जो पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है. कजरी तीज को सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु की कामना के साथ व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. हालांकि सुहागिनों के साथ कुंवारी लड़किया भी ये व्रत रखती हैं.
शास्त्रों के अनुसार, कजरी तीज का व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए भी उतना ही खास है जितना सुहागिनों के लिए. कुंवारी लड़कियां ये व्रत सुयोग्य, सुन्दर और मनचाहा वर पाने के लिए रखती हैं. जिन कन्याओं की शादी किसी कारणवश नहीं हो पा रही है या शादी में देरी हो रही है तो इस व्रत को करने से उनकी जल्दी शादी हो जाती है. कजरी तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. इस दिन सच्चे दिल से गौरी शंकर की आराधना से हर मनोकामना पूर्ण होती है.
कजरी तीज व्रत का महत्व
मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सबसे पहले पार्वती माता ने ही कजरी तीज का व्रत किया था. तभी से कजरी तीज का व्रत करने पर कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त होने का वरदान मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कन्याओं के विवाह में आ रही अड़चनें भी दूर हो जाती हैं. वहीं सुहागिनें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कजरी तीज पर निर्जला व्रत रखती हैं. निर्जला व्रत रखने के बाद सुहागिनें चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं और उसके बाद ही व्रत खोलती हैं. हर साल कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस साल ये तिथि एक सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो गई है और अगले दिन रात 08 बजकर 49 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से कजरी तीज 2 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी.
कुंवारी कन्याएं ऐसे रखें यह व्रत
कजरी तीज का व्रत रखने का लिए कुंवारी कन्याएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
स्नान सें निवृत होकर माता पार्वती का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत रखने का संकल्प लें.
स्नान करने के बाद मंदिर जाकर शिव-पार्वती की पूजा करें और भगवान शिव का जलाभिषेक करें.
कजरी तीज के दिन माता पार्वती के रूप में नीम के पेड़ की पूजा की जाती है. इसलिए नीमड़ी माता को जल चढ़ाकर रोली और चावल लगाकर पूजा करें.
सुहागिन महिलाओं की तरह कुंवारी कन्याओं को 16 श्रृंगार करने की आवश्यकता नहीं है. साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी बिना श्रृंगार के करें.
कुंवारी कन्याएं शिव और पार्वती के सामने दीपक जलाएं. दीपक में तेल का इस्तेमाल करने के बजाय घी का इस्तेमाल करें. तत्पश्चात् धूप, अगरवत्ती, धतूरा, पुष्प और प्रसाद आदि अर्पित करें.
कजरी तीज के दिन पूजा में खासतौर पर माता पार्वती को सिन्दूर चढ़ाना चाहिए और सुहाग की सामग्री अर्पित करनी चाहिए. भगवान शिव के मंत्रों का जाप करके शिव पुराण का पाठ करें.
कुंवारी कन्याएं पूरे विधि विधान से पूजन करें और हाथ जोड़कर महादेव का ध्यान करें.
कजरी तीज के दिन खीर, पूरी, बादाम हलवा, दाल बाटी चूरमा, घेवर, गुजिया, काजू कतली, हलवा आदि पकवान बनाने की मान्यता है.
इस दिन निर्जला व्रत रखने के बाद चांद निकलने के बाद ही भोजन करके व्रत खोला जाता है.
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