धर्म-अध्यात्म

भगवान को उन्हें अटूट श्रद्धा के साथ पुकारो तो खुद दौड़े चले आते हैं- विजय कौशल जी

Admin Delhi 1
27 March 2022 6:45 AM GMT
भगवान को उन्हें अटूट श्रद्धा के साथ पुकारो तो खुद दौड़े चले आते हैं- विजय कौशल जी
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मानस मर्मज्ञ संत विजय कौशलजी महाराज ने कहा है कि भगवान को आज तक कोई नहीं ढूंढ पाया उन्हें अटूट श्रद्धा के साथ पुकारो तो मैं खुद दौड़े चले आते हैं। वृंदावन गार्डन कंसल परिवार द्वारा आयोजित श्रीराम कथा को विराम देते हुए संत विजय कौशल महाराज महाराज ने आज केवट प्रसंग की रसीली और सात्विक कथा के माध्यम से भगवत प्राप्ति का साधन बताते हुए कहा कि भगवान खोजे नहीं जाते, पुकारे जाते हैं। भगवान को आज तक कोई नहीं खोज पाया जबकि वह है कण-कण में है, लेकिन उन्हें पुकारो तो वह खुद चले आते हैं, जैसे मीरा प्रहलाद ध्रुव नरसिंह आदि ऐसे अनेक भक्त हुए, जिन्होंने उन्हें पुकारा तो भगवान खुद प्रकट हो गए।इसी का प्रभाव है कि केवट को भगवान घाट पर स्वयं दर्शन देने जाते हैं। कथाव्यास ने कहा कि भगवान किसी जाति बंधन में नहीं बंधते हैं। समाज के सभी वर्गों पर समान रूप से कृपा करते है। कहां की भगवान को पाने के तीन मार्ग ज्ञान कर्म और भक्ति । भक्ति मार्ग हैं जिसमें भगवान को


पुकारा जाता है गाकर रोक कर यह नाच कर जैसे चाहो भगवान को अटूट श्रद्धा के साथ पुकारो उन्होंने कहा कि भगवान कह दे मां समान है जैसे मां रात्रि में गहरी नींद में सोती है तो भी बच्चे का जरा सरोना जरा सर्फर पार ना उसकी नींद खोल देता है वैसे ही भगवान है जो भक्तों को जरा सी पीड़ा होते ही खुद दौड़े चले आते हैं उन्होंने कहा कि केवट भक्तों का एक रूप है जिसके पास खुद भवसागर को पार लगाने वाले भगवान आए और कहां की है भाई गंगा तो बेटी समान है यह भगवान शिव के चरणों से निकली है इसे कैसे लांघे। इसलिए अपनी नाव ले आओ। केवट संशय में पड़ जाता है और अहिल्या उद्धार को याद कर अपने मन की अभिव्यक्ति करता है।

सहज स्नेह विवश रघुराई

छी कुसल निकट बैठाई .

निर्मल मन सो मोहि पावा ,

मोहि कपट छल छिद्र न भावा ,

मन क्रम वचन छाड़ि चतुराई ,

भजत कृपा करहिं रघुराई।

भगवान् कहते हैं मुझे सीधा साधा निष्कपट भक्त ही पसंद है। और केवट को अटूट भक्ति का वरदान देते हैं।

लोगों को परिवार में सुख शांति और आनंद के लिए चार सूत्र बताते हुए संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि परिवार के सभी सदस्य प्रतिदिन कम से कम एक बार एक साथ बैठकर ईश्वर का ध्यान करें। इसके अलावा दिन के एक समय का भोजन सभी सदस्यों को एक साथ मिलकर करना चाहिये। साथ ही सोने से पहले भी ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।


कथा के अंतिम दिन महाराष्ट्र में एक से एक सुंदर भजनो से हजारों श्रद्धालुओं को अंतर्मन से जोड़ा तो श्रद्धालु भावविभोर होकर नाचने लगे। इस अवसर पर पालिका चेयरमैन अंजू अग्रवाल, शिक्षाविद भूदेव सिंह, आदि ने महाराजश्री के द्वारा दिए गए मार्गदर्शन को अपने जीवन के अमूल्य पूंजी बताते हुए कहा कि निश्चित तौर पर भजनों के माध्यम से ईश्वर को पुकारेंगे और अपने जीवन को धन्य बनाएंगे। कंसल परिवार के सदस्य अनिल कंसल ने भावुक होकर कथा आयोजन में जाने अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना की इस दौरान महाराजश्री ने कहा कि भगवान का प्रसाद हमेशा स्वीकार करना चाहिए यह नहीं देखना चाहिए कि भंडारा किसके द्वारा कराया जा रहा है प्रसाद अमूल्य है इसे हमेशा स्वीकार करें क्योंकि जिस पर भगवान की कृपा होती है उसे ही प्रसाद मिलता है। हाथ जोड़कर रूठे हुए कांड से भीम कंसल ने समस्त फागुन तक श्रद्धालुओं का इस आयोजन से जोड़ने पर आभार जताया। भगवान श्री राम की आरती वंदना में लाला फूलचंद कंसल किशन कंसल, भीम कंसल, अनिल कंसल ,राकेश बिंदल ,रघुराज गर्ग, सतीश गोयल ,अनिल गर्ग,आलोक स्वरूप, सुभाष अग्रवाल, रविंद्र चौधरी ,सुरेंद्र अग्रवाल, सोमप्रकाश, सत्यप्रकाश मित्तल, अतुल गर्ग, जेपी गोयल, अमरीश सिंगल, विजेंद्र अग्रवाल, विकास अग्रवाल, रजत राठी, रजत गोयल ,विनोद राठी योगेश गोयल, संजीव अग्रवाल, दिनेश गर्ग, आदि सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। भंडारे के साथ कथा ने विराम पाया।

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