धर्म-अध्यात्म

इस व्रत को रखने से मिलता है 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य

Renuka Sahu
24 Jun 2022 2:17 AM GMT
By observing this fast one gets the virtue of feeding 88 thousand brahmins.
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फाइल फोटो 

आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी से पहले आने वाली इस एकादशी परयोगिनी एकादशी 2022, योगिनी एकादशी 2022 व्रत, भगवान श्री हरि विष्णु, Yogini Ekadashi 2022, Yogini Ekadashi 2022 fasting, Lord Shri Hari Vishnu,

के वामन रूप और योगीराज श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं और 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है। इस तिथि के स्वामी स्वयं भगवान श्री हरि विष्णु हैं।

आषाढ़ मास की दोनों एकादशी और द्वादशी तिथियों पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत करने की परंपरा है। इस व्रत के प्रभाव से संतान सुख प्राप्त होता है। जाने-अनजाने में हुए पाप और शारीरिक व्याधियां दूर हो जाती हैं। कहा जाता है कि जो भक्त योगिनी एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से भगवान श्री हरि के चरणों में स्थान प्राप्त होता है। इस व्रत में ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते रहें। विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। योगिनी एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इस व्रत में पीपल पर जल चढ़ाएं। जरूरतमंद लोगों को दान करें। कहा जाता है कि यह एकादशी बीमारियों से राहत दिलाती है। योगिनी एकादशी व्रत की सभी रस्में दशमी तिथि की पूर्व संध्या पर शुरू होती हैं। व्रत उस समय तक जारी रहता है जब तक एकादशी तिथि समाप्त होती है। इस व्रत का पालन करने वाले उपासकों को रात में सोने की अनुमति नहीं होती है। इस व्रत में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। योगिनी एकादशी का व्रत रखने से भगवान श्री हरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
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