धर्म-अध्यात्म

व्रत को करने से पितरों को मिलता है मोक्ष

Shiddhant Shriwas
24 Sep 2021 1:18 PM GMT
व्रत को करने से पितरों को मिलता है मोक्ष
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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। इस विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए आचार्य संजय पाठक ने बताया कि इंदिरा एकादशी व्रत पितृ पक्ष में आता है, इसलिए इसका महत्व अत्यधिक होता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 01 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 03 मिनट से हो रहा है। एकादशी तिथि का समापन 02 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होना है। उदयातिथि के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा।

इंदिरा एकादशी 2021 पारण समय
जो लोग इंदिरा एकादशी का व्रत रहेंगे, उनको द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व पारण करना होगा। इंदिरा एकादश व्रत के पारण का समय 03 अक्टूबर को प्रात: 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट के मध्य है। इस समय में पारण करके व्रत को पूरा करना चाहिए। पारण करने के बाद से व्रत पूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत सभी घरों में करना चाहिए। जो भी व्यक्ति इंदिरा एकादशी का व्रत रखता है और उस व्रत पुण्य को अपने पितरों को समर्पित कर देता है, तो इससे उसके पितरों को लाभ होता है। जो पितर यमलोक में यमराज का दंड भोग रहे होते हैं, उनको इंदिरा एकादशी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यदि आप इंदिरा एकादशी का व्रत करें तो इसे अपने पितरों को स​मर्पित कर दें। ऐसा करने से आपके पितृ नरक लोक के कष्ट से मुक्त हो जाते हैं और उनको श्रीहरि विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है। इससे प्रसन्न होकर पितर सुख, समृद्धि, वंश वृद्धि, उन्नति आदि का आशीष देते हैं। जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, उसे भी मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।


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