धर्म-अध्यात्म

माता लक्ष्मी ने बलि को कैसे बनाया भाई , जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

Tara Tandi
10 Aug 2022 9:47 AM GMT
माता लक्ष्मी ने बलि को कैसे बनाया भाई , जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा
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रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का पावन त्योहार 11 अगस्त को है. इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं तो भाई बहन की रक्षा का प्रण लेते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का पावन त्योहार 11 अगस्त को है. इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं तो भाई बहन की रक्षा का प्रण लेते हैं. रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन रक्षा सूत्र या राखी बांधते समय एक मंत्र बोला जाता है, जिसे राखी मंत्र या रक्षा सूत्र मंत्र कह सकते हैं. इस मंत्र के प्रारंभ में असुरों के राजा बलि का नाम आता है. रक्षाबंधन की कथाओं (Rakshabandhan Katha) में माता लक्ष्मी और राजा बलि की भी कथा है. आइए जानते हैं उस कथा के बारे में.

राखी मंत्र
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे माचल माचलः।।
माता लक्ष्मी ने बलि को कैसे बनाया भाई?
वामन पुराण की कथा के अनुसार, असुरों के राजा बलि बड़े ही बलशाली, प्रतापी और दानवीर थे. उन्होंने अपने पराक्रम से स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया था. देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की. वे भगवान विष्णु का बड़े भक्त थे. वे समय-समय पर यज्ञ कराते रहते थे.
एक बार वह यज्ञ करा रहे थे. तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया. वे अपने वामन स्वरूप में राजा बलि के यज्ञ में पहुंचे. सभी ब्राह्मणों की तरह राजा बलि ने वामन देव को भी दान पुण्य करने का वचन दिया. वामन देव ने राजा बलि से दान में तीन पग भूमि मांगी. उसने तीन पग भूमि दान देने का वचन दिया.
तब वामन देव ने अपना विराट स्वरूप धारण किया और एक पग में पूरी पृथ्वी और दूसरे पग में आकाश नाप दिया. फिर उन्होंन कहा कि अभी तो दो ही पग हुए हैं, तीसरा पग कहां रखें. इस पर बलि ने कहा कि दो पग में तो आपने सबकुछ ले लिया. तीसरा पग मेरे सिर पर रख दें. भगवान विष्णु ने तीसरा पग उनके सिर पर रखा.
भगवान विष्णु ने दानशीलता से प्रसन्न होकर राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और वरदान मांगने को कहा. बलि ने कहा कि हे प्रभु! जब भी वे सोकर उठें तो साक्षात् आपके दर्शन हों. भगवान​ विष्णु ने वरदान दे दिया और राजा बलि के साथ वे भी पाताल लोक में रहने लगे.
इधर माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के वापस न लौटने से चिंतित थीं. एक दिन वह असहाय युवती का रूप धारण करके राजा बलि के पास गईं और मदद करने को कहा. इस दौरान माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधने के बाद कहा कि तुम मदद करने का वचन दो, तभी वे अपनी समस्या बताएंगी. बलि ने कहा कि आपने मुझे भाई बन लिया है. आपको मदद का वचन देता हूं.
इतना कहते ही माता लक्ष्मी अपने वास्तविक स्वरूप में आ गईं और राजा बलि से कहा कि उनके प्रभु श्रीहरि विष्णु तुम्हारे वचन के कारण पाताल लोक में निवास कर रहे हैं. तुम इनको वचन से मुक्त कर दो ताकि वे अपने लोक वापस जाएं. बलि ने भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्त कर दिया. तब भगवान विष्णु ने बलि से कहा कि वे हर साल चार माह के लिए पाताल लोक में निवास करेंगे. व​ही देवश्यानी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ होता है. श्रीहरि पाताल लोक में योग निद्रा में होते हैं.
राखी के मंत्र में जिस राजा ​बलि का नाम आता है, उसकी यही कथा प्रचलित है.
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